WhatsApp Chat High Court Order: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया है कि व्हाट्सएप चैट बिना प्रॉपर सर्टिफिकेट के कोर्ट में सबूत के तौर पर नहीं माने जा सकते. कोर्ट में किसी भी सबूत को मानने के लिए उसे इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 के तहत जरूरी प्रमाण पत्र के साथ पेश करना होगा.
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WhatsApp News: व्हाट्सएप दुनियाभर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप है. लोगों के बीच यह ऐप काफी पॉपुलर है. इसकी पॉपुलैरिटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर देश में इसके यूजर्स हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया है कि व्हाट्सएप चैट बिना प्रॉपर सर्टिफिकेट के कोर्ट में सबूत के तौर पर नहीं माने जा सकते. कोर्ट में किसी भी सबूत को मानने के लिए उसे इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 के तहत जरूरी प्रमाण पत्र के साथ पेश करना होगा.
किस मामले में आया फैसला
यह फैसला एक मामले में आया है, जहां डेल इंटरनेशनव सर्विसिस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 12 दिसंबर 2023 के दिल्ली स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन के एक आदेश को चुनौती दी थी, जहां कमीशन ने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन के जुलाई 2023 के आदेश को बरकरार रखा था. उपभोक्ता अदालत ने डेल की तरफ से दाखिल किए गए लिखित जवाब को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि माना गया था कि ये जवाब दाखिल करने में देरी हुई थी.
क्या था पूरा मामला
दरअसल, एक ग्राहक ने साल 2022 में डेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इस शिकायत का जवाब देने में देरी को लेकर उपभोक्ता अदालत ने डेल पर जुर्माना लगा दिया था. डेल का कहना था कि उन्हें शिकायत की पूरी कॉपी नहीं मिली थी, इसलिए जवाब देने में देरी हुई. इस बात को साबित करने के लिए डेल ने कोर्ट में व्हाट्सएप चैट का स्क्रीनशॉट पेश किया.
कोर्ट ने क्या कहा
लेकिन जज ने इस स्क्रीनशॉट को सबूत के तौर पर नहीं माना. जज का कहना था कि व्हाट्सएप चैट को इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत जरूरी प्रमाण पत्र के साथ पेश करना चाहिए था. साथ ही, कोर्ट में इस बात का भी कोई सबूत नहीं दिया गया कि ये व्हाट्सएप चैट पहले उपभोक्ता अदालत में पेश किए गए थे. अंत में कोर्ट ने कहा कि डेल ने देरी से जवाब दाखिल किया और व्हाट्सएप चैट को सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता, इसलिए उपभोक्ता अदालत का फैसला सही है. इस वजह से डेल की याचिका खारिज कर दी गई.