Gaganyaan Mission: क्या है Cryogenic Engine? इसी की मदद से इंडियन्स करेंगे स्पेस फतेह
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Gaganyaan Mission: क्या है Cryogenic Engine? इसी की मदद से इंडियन्स करेंगे स्पेस फतेह

ISRO ने अपने क्रायोजेनिक इंजन (सीई20) को ह्यूमन स्पेस फ्लाइट के लिए उपयुक्त माना है. यह इंजन भारत के पहले मानव स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम गगनयान के लिए ह्यूमिनाइज्ड एलवीएम3 लॉन्चर के क्रायोजेनिक फेस को शक्ति प्रदान करेगा. 

Gaganyaan Mission: क्या है Cryogenic Engine? इसी की मदद से इंडियन्स करेंगे स्पेस फतेह

Gaganyaan Mission: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ता जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन "गगनयान" के चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की. गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रसांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांगशु शुक्ला हैं. ISRO ने अपने क्रायोजेनिक इंजन (सीई20) को ह्यूमन स्पेस फ्लाइट के लिए उपयुक्त माना है. यह इंजन भारत के पहले मानव स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम गगनयान के लिए ह्यूमिनाइज्ड एलवीएम3 लॉन्चर के क्रायोजेनिक फेस को शक्ति प्रदान करेगा. 

3 दिनों का है मिशन

गगनयान भारत का पहला ह्यूमन फ्लाइट मिशन है, जिसका लक्ष्य लोगों को 400 किलोमीटर ऊंची कक्षा में 3 दिनों के लिए भेजना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना है. पहला मानव रहित गगनयान - 1 मिशन 2024 के मध्य में लॉन्च होने की उम्मीद है. इसरो के सबसे शक्तिशाली रॉकेट, एलवीएम का उपयोग गगनयान मिशन के लिए किया जाएगा. यह रॉकेट ठोस, तरल और क्रायोजेनिक फ्यूल से चलता है और अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है.

ISRO ने सीई20 इंजन को किया पास

सीई20 नाम का एक खास इंजन है जो अंतरिक्ष यान को ऊपर ले जाने में मदद करता है. इस इंजन को यह परखने के लिए कई बार टेस्ट किया गया. 14 फरवरी को तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में इसरो की हाई एल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी में इस इंजन पर टेस्टों की एक सीरीज में से सातवां टेस्ट किया गया. इसरो ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया कि "गगनयान मिशन के लिए एलवीएम3 वाहन के सीई20 इंजन की ह्यूमन रेटिंग में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया गया है.'

सीई20 इंजन को अलग-अलग परिस्थितियों में 39 बार जलाया गया था, जो कुल मिलाकर 8,810 सेकंड (2 घंटे 26 मिनट) तक चला. वहीं, मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए मिनिमम जरूरी समय 6,350 सेकंड (1 घंटा 45 मिनट) होता है. 

इंसानों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए बनाए जाने वाले रॉकेट को विकसित करना, कई टेस्टिंग और टेक्नोलॉजी को बनाने की कोशिशों का एक हिस्सा है. ऐसी ही कोशिशों में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पृथ्वी जैसे वातावरण बनाने वाली लाइफ सपोर्ट सिस्टम, इमरजेंसी में यात्रियों को सुरक्षित निकालने का तरीका, अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग, वापसी और उनकी देखभाल के लिए नए तरीके विकसित करना शामिल है. 

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