Slow Internet स्पीड से यूजर्स हुए परेशान, बढ़ती इंटरनेट रीच से भी नहीं हो रहा फायदा
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Slow Internet स्पीड से यूजर्स हुए परेशान, बढ़ती इंटरनेट रीच से भी नहीं हो रहा फायदा

Slow Internet Speed: इंटरनेट की लगातार बढ़ती पहुंच के बावजूद भी भारतीय यूजर्स को वो इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी नहीं मिल पा रही है जिसकी उन्हें जरूरत है. 

Slow Internet स्पीड से यूजर्स हुए परेशान, बढ़ती इंटरनेट रीच से भी नहीं हो रहा फायदा

Slow Internet Speed: चाहे दफ्तर का काम हो, पढ़ाई-लिखाई हो या फिर मनोरंजन हो, हर चीज में इंटरनेट तो चाहिए ही होता है. हालांकि अच्छी इंटरनेट स्पीड ना मिले तो आपको काफी परेशानी हो सकती है. पिछले 2 सालों में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर लगातार सर्विसेज बेहतर होने का दावा कर रहे हैं. हालांकि हालिया सर्वे की मानें तो अभी भी यूजर्स स्लो इंटरनेट स्पीड और पुअर कनेक्टिविटी की समस्या से जूझ रहे हैं. सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां लगातार जो दावे कर रही हैं उनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है और इसका खामियाजा आम इंटरनेट यूजर को भुगतना पड़ रहा है. 

सर्वे में क्या कहा गया 

सर्वे की मानें तो 70 प्रतिशत यूजर्स ने सर्विस प्रोवाइडर बदलने की इच्छा जाहिर की है. लोकलसर्कल्स के वार्षिक ब्रॉडबैंड सर्वे के अनुसार, भारत में 86 प्रतिशत यूजर्स मुख्य रूप से फाइबर, ब्रॉडबैंड, डीएसएल या फिक्स्ड-लाइन कनेक्शन के माध्यम से घर पर इंटरनेट से जुड़ते हैं. हालांकि, इनमें से आधे से अधिक यूजर्स (56 प्रतिशत) ने कनेक्शन में दिक्कत या फिर सर्विस प्रोवाइडर के दावे या उस भुगतान की तुलना में कम इंटरनेट स्पीड मिलने की बात निकलकर सामने आ रही है. 

देश के 286 जिलों को किया गया शामिल 

इस सर्वे में 286 भारतीय जिलों में 70,000 से अधिक ब्रॉडबैंड और फाइबर यूजर्स से जानकारी इकट्ठा की गई है, जिससे पता चला कि 39 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि "मिलने वाली इंटरनेट स्पीड उससे बहुत कम है जिसके लिए हम भुगतान कर रहे हैं", जबकि 47 प्रतिशत ने दावा किया कि इसमें समय लगता है. उनके सर्विस प्रोवाइडर को उनकी शिकायतों का समाधान करने के लिए 24 घंटे से अधिक समय मिलता है.

सर्वे के अनुसार, "70 प्रतिशत फाइबर/ब्रॉडबैंड/डीएसएल/फिक्स्ड लाइन यूजर्स का कहना है कि वे बेहतर क्वॉलिटी, सर्विस या कीमत के लिए ऑप्शनल प्रोवाइडर्स पर स्विच करने के इच्छुक हैं". स्टडी में कहा गया है कि भारत में टेलीफोन और लैंडलाइन सर्विसेज या फिक्स्ड वॉयस सर्विसेज से उत्पन्न आय 2023 से 2028 तक 4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से घटने की उम्मीद है.

ऐसा कहा गया है कि, "यूजर्स के बीच मोबाइल और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) संचार सेवाओं की ओर बदलाव, बंडल प्लान के अंदर कॉम्प्लिमेंट्री वॉयस मिनट की पेशकश करने वाले ऑपरेटरों के साथ मिलकर, भारत में फिक्स्ड वॉयस ऑपरेटरों के प्रति यूजर्स औसत राजस्व (एआरपीयू) में गिरावट आ रही है." लोकलसर्किल्स ने कहा कि वह कस्टमर्स की समस्याओं के समाधान के लिए दूरसंचार नियामक ट्राई, दूरसंचार मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों के विभाग जैसे प्रासंगिक सरकारी निकायों के साथ परिणाम शेयर करने की योजना बना रहा है.

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