Parkinsons: शोधकर्ताओं के मुताबिक डोपामाइन और पार्किंसंस रोग में सीधा कनेक्शन हो सकता है. न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन पर शोध से जो जानकारी सामने आई है वो उत्साह बढ़ाने वाली है हालांकि अभी इस विषय पर और शोध करने की जरूरत है.
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Dopamine connection with Parkinsons: डोपामाइन को खुशियों वाला हार्मोन माना जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक जब कामयाबी मिलती है तो इसका स्तर बढ़ा हुआ होता है. अगर डोपामाइन का स्तर शरीर में अधिक हो तो हम सामान्य तौर ज्यादा खुशी का अनुभव करते हैं. यह एक न्यूरोट्रांसमीटर हार्मोन है जो दिमाग को यह संदेश भेजता है कि कामयाबी हासिल हो चुकी है और उसके हिसाब से हमार दिमाग रिएक्ट करता है. डोपामाइन को लेकर तरह तरह के रिसर्च जारी हैं. उनमें से एक पार्किंसंस रोग से इसके रिश्ते को जोड़ा गया है. शोधकर्ता बताते हैं कि डोपामाइन के जरिए पार्किंशस के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है.
डोपामाइन के तीन अलग अलग सब टाइप
अमेरिका में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में की गई एक जांच में मस्तिष्क के एक हिस्से में डोपामाइन-प्रतिक्रियाशील न्यूरॉन्स के तीन अलग-अलग उपप्रकारों का पता चला है जिसे सबस्टैंटिया नाइग्रा पार्स कॉम्पेक्टा (SNC) कहा जाता है. तीन अलग-अलग जीनों में से एक की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति द्वारा विशेषता, संतोषजनक अनुभवों, परेशान करने वाली उत्तेजनाओं, या चाल में बदलवा में प्रतिक्रिया देता है. डोपामाइन न्यूरॉन्स पहला ठोस सबूत प्रदान करता है जो केवल हमारे आनंद देने वाले व्यवहार से ही नहीं जुड़ा है. कुछ मायनों में यह खोज पूरी तरह से चौंकाने वाली नहीं हो सकती है. पार्किंसंस रोग के लिए सबस्टैंटिया नाइग्रा ग्राउंड जीरो है. इसके डोपामाइन-संवेदनशील न्यूरॉन्स के नुकसान की वजह शरीर में कठोरता, धीमापन और कंपकंपी शामिल होती है.
डोपामाइन और पार्किंसंस के बीच रिश्ता
इन तंत्रिका कोशिकाओं के नष्ट होने से किसी सफल या खुशी भरे कार्य के बाद पुरस्कृत भावनाओं का नुकसान होना जरूरी नहीं है. इसलिए अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि हार्मोन पर प्रतिक्रिया करने वाले न्यूरॉन्स में आम तौर पर एक से अधिक कार्य होते हैं, या यदि अलग-अलग कोशिकाएं अपने स्वयं के कार्य के लिए जिम्मेदार होती हैं. न्यूरोबायोलॉजिस्ट डैनियल डोमबेक कहते हैं कि हमें एक उपप्रकार मिला है जो बिना किसी इनाम प्रतिक्रिया के मोटर सिग्नलिंग है और वे ठीक वहीं बैठते हैं जहां डोपामाइन न्यूरॉन्स सबसे पहले पार्किंसंस रोग में मरते हैं. जब भी चूहे हिलते हैं तो डोपामाइन-प्रतिक्रियाशील न्यूरॉन्स का लगभग 30 प्रतिशत चमक उठता है, जिससे शेष तंत्रिका कोशिकाओं में प्रतिकूल या पुरस्कृत व्यवहार की प्रतिक्रिया होती है.
अभी और ठोस शोध की जरूरत
न्यूरोबायोलॉजिस्ट राजेश्वर अवत्रामणि कहते हैं यह आनुवंशिक उपप्रकार त्वरण के साथ जुड़ा है. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इन त्वरक-विशिष्ट डोपामाइन न्यूरॉन्स के नुकसान से मस्तिष्क में असंतुलन पैदा हो सकता है जो पार्किंसंस के हिलने-डुलने की गतिविधियों के पीछे हो सकता है. केवल न्यूरॉन्स के साथ छोड़ दिया गया है जो मंदी को नियंत्रित करते हैं, मस्तिष्क मांसपेशियों को रुकने के लिए मजबूर कर सकता है. यह जानने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि डोपामाइन तंत्रिका कोशिका का प्रत्येक विशिष्ट उपवर्ग कैसे संचालित होता है, और क्यों कुछ को दूसरों की तुलना में नुकसान होने का खतरा अधिक होता है.अवत्रामणि कहते हैं कि हम अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इसका क्या मतलब है.