Ganesh Ji Upay: बुधवार को सच्चे मन से कर लें ये छोटा सा काम, जीवन से दुख और संकट का मिट जाएगा नामो-निशान
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Ganesh Ji Upay: बुधवार को सच्चे मन से कर लें ये छोटा सा काम, जीवन से दुख और संकट का मिट जाएगा नामो-निशान

Wednesday Upay: कहते हैं कि जीवन में आ रहे दुख-संकट को दूर करने के लिए गणेश जी की आराधना सच्चे मन से करनी चाहिए. गणपति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. इसके लिए बुधवार के दिन पूजा के बाद ये काम अवश्य करें.

 

फाइल फोटो

Ganesh Stotram Benefits: बुधवार का दिन गणेश जी और बुध ग्रह को समर्पित है. इस दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से की गई पूजा-उपासना और उपाय से गणपति की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही, कुंडली में बुध ग्रह को मजबूती मिलती है. शास्त्रों में गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा गया है, जिसका अर्थ है दुखों को हरने वाला. जीवन में आ रही परेशानियों और दुखों से बचने के लिए गणेश जी की उपासना उत्तम उपाय है.  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार के दिन गणेश जी की वंदना करनी चाहिए. इससे वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत अगर गणेश जी के नाम के साथ की जाए, तो वे कार्य निर्विघ्न पूरे होते हैं. व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. विधिपूर्वक पूजा करने के साथ-साथ इस दिन गणेश स्त्रोत का पाठ अवश्य करें. कहते हैं कि गणेश स्त्रोत का पाठ करने से जीवन में मंगल ही मंगल  होता है. आइए पढ़ें गणेश स्त्रोत का पाठ.
 
गणेश स्तोत्र

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

 जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

संतान गणपति स्तोत्र

 नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।

पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)  

 

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