Varad Chaturthi 2025 kab hai: माघ वरद तिल चतुर्थी (कब है वरद तिल चतुर्थी) पर भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन को तिलकुंद चतुर्थी भी कहते हैं.
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Varad Chaturthi 2025 Date: माघ महीने में एक विशेष त्योहार पड़ता है जिसका बहुत महत्व बताया गया है. यह त्योहार वरद तिल चतुर्थी है. भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन गणेश जी की पूजा तिल और कुंद के फूलों से किए जाने की परंपरा है. इस पर्व को कुंद चतुर्थी भी कहा जाता है. वरद तिल चतुर्थी 1 फरवरी 2025 को इस साल मनाया जाएगा. तिल और कुंद भगवान गणेश को अतिप्रिय है, ऐसे में माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को तिल कुंद चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. कुछ लोग इस दिन गणेश जी को भोग के रूप में लड्डू भी अर्पित करते हैं. आइए वरद तिल चतुर्थी से जुड़ी जानकारी हासिल करें.
वरद तिल चतुर्थी कब से कब तक
पंचांग के अनुसार 31 जनवरी को दिन में 2 बजे से लेकर 1 फरवरी को 11 बजकर 39 मिनट तक माघ महीने की तृतीया तिथि रहने वाली है और फिर चतुर्थी तिथि लग रही है. इस तरह वरद तिल चतुर्थी का व्रत 1 फरवरी को रखा जाएगा. शास्त्र विहित मत माने तो उदया तिथि में जिस दिन चतुर्थी तिथि लगी है चतुर्थी का व्रत भी उसी दिन से शुरू होगा. इस तरह 1 फरवरी को वरद तिल चतुर्थी व्रत का संकल्प लिया जा सकता है.
वरद तिल चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा का महत्व
माघ तिलकुंद चतुर्थी पर गणेशजी और चंद्र देव की पूजा करने के बारे में बताया गया है जिससे मन को शांति व सुख मिलता है. इस दिन अगर व्रत का संकल्प कर गणेशजी की पूजा करें तो भगवान भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं. धन, विद्या, बुद्धि के साथ ही ऐश्वर्य का आशीर्वाद भी भगवान गणेश अपने भक्तों को देते हैं. रिद्धि-सिद्धि और जीवन के सभी संकट दूर होने का का वरदान भी प्राप्त होता है.
वरद तिल चतुर्थी पूजा मुहूर्त व विधि
वरद तिल चौथ पर गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है.
वरद चतुर्थी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त और गोधूलि मुहूर्त में की जाती है.
चांद देखकर भी गणेशजी की पूजा करने के बारे में बताया जाता है.
इस दिन तिल संबंधि धार्मिक कार्य होते हैं यानी लोग तिल-गुड़ के लड्डू बनाकर भगवान को भोग के रूप में अर्पित करते हैं.
इस दिन तिल का दान करना अति शुभ माना गया है.
तिलकुट और तिल का चूरमा बनाने का इस दिन विशेष महत्व है.
व्रत रखने वाले लोग पूरा दिन उपवास करते हैं और शाम में चद्रमा को देखकर अर्घ्य अर्पित करते हैं.
इसके बाद गणेश जी की पूजा की जाती है.
पूजा के दौरान चतुर्थी व्रत की व्रत कथा सुनी सुनाई जाती है. जिसके बाद पूजा संपन्न हो जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)