Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर इस तरह करें भगवान शिव को प्रसन्न, कष्टों से भी मिलेगी मुक्ति
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Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर इस तरह करें भगवान शिव को प्रसन्न, कष्टों से भी मिलेगी मुक्ति

Shivashtak Lyrics: हिन्दू धर्म में अमावस्या की तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन स्नान-दान करना काफी शुभ माना जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार 8 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 11 मिनट पर अमावस्या की तिथि शुरू हो चुकी है. 

Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर इस तरह करें भगवान शिव को प्रसन्न, कष्टों से भी मिलेगी मुक्ति

Somvati Amavasya 2024: हिन्दू धर्म में अमावस्या की तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन स्नान-दान करना काफी शुभ माना जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार 8 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 11 मिनट पर अमावस्या की तिथि शुरू हो चुकी है. वहीं, इसका समापन आज रात 11 बजकर 50 मिनट पर होगी. इसके चलते 8 अप्रैल यानी आज सोमवती अमावस्या या चैत्र अमावस्या मनाई जा रही है. 

 

स्नान-दान से मिलेगा पुण्य

सोमवती अमावस्या के अवसर पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है. इसके अलावा इस दिन स्नान-दान करना काफी शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र नदियों में स्नान करने से पूर्व में किए हुए पाप धुलते हैं और पुण्यों की प्राप्ति होती है. इसके अलावा आज आप जरूरतमंदों को खाना खिलाएं और वस्त्र दान करें.

 

करें भगवान शिव को प्रसन्न

आज के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के कई संकट कम होते हैं और उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए आप शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं.

 

।।शिवाष्टक स्तोत्र।। (Shivastakam Stotra Lyrics in Hindi)
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,

पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

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जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,

विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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