Lord Hanuman Shani Dev: शनि देव पर आखिर सरसो का तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है, कोई और तेल क्यों नहीं?
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Lord Hanuman Shani Dev: शनि देव पर आखिर सरसो का तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है, कोई और तेल क्यों नहीं?

Shani Dev and Mustard Oil: आपने देखा होगा कि शनि देव की प्रतिमा पर केवल सरसो का तेल ही चढ़ाया जाता है और कोई तेल नहीं. आखिर ऐसा क्यों होता है. शनि और सरसो के तेल का क्या संबंध है. क्या हनुमान जी और शनि देव एक ही हैं. 

Lord Hanuman Shani Dev: शनि देव पर आखिर सरसो का तेल ही क्यों चढ़ाया जाता है, कोई और तेल क्यों नहीं?

Relationship between Lord Hanuman and Shani Dev: सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी देवता के नाम समर्पित किए गए हैं. इनमें से शनिवार का दिन शनि देव की आराधना का माना जाता है. परंपरा के तहत शनिवार को शनि देव की प्रतिमा पर सरसो का तेल चढ़ाया जाता है. लेकिन सवाल आता है कि सरसो का तेल ही क्यों. शनि प्रतिमा पर कोई और तेल क्यों नहीं चढ़ाया जाता. उनका भगवान हनुमान से क्या संबंध हैं. क्या दोनों एक ही हैं या अलग-अलग. आज हम इस गुत्थी से रहस्य हटाने जा रहे हैं. 

बचपन से उत्पाती थे शनि देव

पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक शनि देव (Shani Dev) भगवान सूर्य के पुत्र हैं. स्कंदपुराण के अनुसार काशीखंड के मुताबिक शनिदेव का जन्म सूर्यदेव और संवर्णा के मिलन से हुआ है. शनि देव बचपन से ही उत्पाती थे और अपने पिता की आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे. इससे उनके पिता बहुत परेशान रहते थे. वहीं भगवान हनुमान (Lord Hanuman) पवन देव के मानस पुत्र थे. उनके गुरु सूर्य देव थे. अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद जब हनुमान जी ने सूर्य देव से गुरु दक्षिणा मांगने के लिए कहा तो उन्होंने अपनी व्यथा बताई और शनि देव को उनके पास लाने की इच्छा जताई. 

हनुमान जी और शनि में भीषण युद्ध

किवदंतियों के अनुसार अपने गुरू की आज्ञा मानकर हनुमान (Lord Hanuman) जी, शनिदेव को लाने के लिए चल दिए. उन्होंने शनि देव (Shani Dev) से अपने पिता सूर्य देव के पास चलने का बहुत आग्रह किया लेकिन वे नहीं माने. इसके बाद दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ. इस युद्ध में शनि देव बुरी तरह घायल हो गए. उन्हें दर्द से तड़पता देख हनुमान जी ने उन्हें सरसो का तेल दिया, जिसे शरीर पर लगाते ही शनि का दर्द गायब हो गया. इसके बाद हनुमान जी उन्हें साथ लेकर सूर्य देव के पास पहुंचे, जहां शनि ने अपने आचरण के लिए उनसे माफी मांगी.

सूर्य देव ने बजरंग बली को दिया आशीर्वाद

इसके बाद सूर्य देव ने हनुमान जी (Lord Hanuman) को आशीर्वाद दिया कि जब भी किसी को शनि (Shani Dev) सताएगा तो हनुमान जी का स्मरण उनकी सारी पीड़ाएं हर लेगा. इसके बाद से शनि की ढैया और साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए भी हनुमान चालीसा पढ़ने की परंपरा शुरू हो गई. साथ ही शनि को प्रसन्न रखने और उनकी कृपा हासिल करने के लिए प्रत्येक शनिवार को उन्हें सरसो के तेल से नहलाने की प्रथा भी शुरू हुई. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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