Ravana Mandodari Story: भारत के इस मंदिर में हुई रावण और मंदोदरी की पहली भेंट, जहां शिवजी देते हैं मनचाहा वर का आशीर्वाद
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Ravana Mandodari Story: भारत के इस मंदिर में हुई रावण और मंदोदरी की पहली भेंट, जहां शिवजी देते हैं मनचाहा वर का आशीर्वाद

Shri Bileshwar Nath Temple Meerut: भारत के उस मंदिर के बारे में हम जानेंगे जहां पर रावण और मंदोदरी की पहली मुलाकात हुई थी. इस मंदिर को लेकर कई कई हैरान करने वाली मान्यताएं भी प्रचलित हैं.

Bileshwar Nath Temple Meerut

Ravana Mandodari Story Of First Meet: दशानन रावण जो महाबलशाली था, जिसके पास अथाह ज्ञान था, जिसकी शक्तियों का अंत नहीं था. लंका का राजा रावण रामायण का एक अभिन्न अंग है लेकिन उसकी पत्नी मंदोदरी का भी विशेष रूप से रामायण में जिक्र किया जाता है. रावण की पत्नी मंदोदरी पतिव्रता थी जिसकी गिनती पंच कन्याओं में की जाती है. मान्यता है कि रावण और मंदोदरी जिस मंदिर में मिले (Ravana Mandodari Story) वहां पर आज के समय में भी शिवजी की पूजा आराधना की जाती है. वो मंदिर श्री बिल्वेश्वर नाथ मंदिर है जो उत्तर प्रदेश के मेरठ में है. 

मंदोदरी के बारे में
मंदोदरी राक्षसराज मयासुर और अप्सरा हेमा की पुत्री थीं. जिसे लेकर ऐसी मान्यता थी कि मंदोदरी को मयासुर ने गोद लिया था. मंदोदरी कोई साधारण कन्या नहीं थी बल्कि उसका नाम उन पंच कन्याओं में शामिल है जिनको वरदान प्राप्त था कि उनका कौमार्य विवाह के बाद भी कभी भंग नहीं होगा. 

यहां हुई थी भेंट
पौराणिक मान्यताओं पर ध्यान दें तो भगवान शिव की परम भक्त मंदोदरी ने मेरठ के श्री बिल्वेश्वर नाथ मंदिर में आकर शिव जी से अपनी मनोकामना बताई थी. उसने अच्छे वर की चाह में शिव जी की आराधना की. कहते हैं कि मंदोदरी ने शिव जी की कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने उसे आशीर्वाद दिया कि विश्व के सबसे विद्वान और शक्तिशाली व्यक्ति से उसका विवाह होगा. माना जाता है कि यही वो मंदिर है जहां पर रावण और मंदोदरी पहली बार मिले. शिव जी के वरदान का परिणाम हुआ कि रावण से मंदोदरी का विवाह हो गया. 

मंदिर का नाम
जानकारी मिलती है कि मराठों ने श्री बिल्वेश्वर नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, ऐसे में मंदिर के शिखर व प्रवेश द्वार मराठा शैली में निर्मित हैं. तब यहां पर बिल्व वृक्ष यानी बेल के बहुत पड़े थे जिसके कारण मंदिर को श्री बिल्वेश्वर नाथ मंदिर नाम दिया गया. मान्यता है कि श्रद्धा से जो भी भक्त भगवान शिव की पूजा करता है व 40 दिन तक दीपक जलाता है उसकी इच्छाएं पूर्ण होती है. भगवान शिव और माता गौरी को समर्पित इस मंदिर को लेकर भक्तों की ऐसी भावना है कि यहां पर मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. बताया जाता है कि यहां का शिवलिंग स्वयंभू हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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