कब है रंगभरी एकादशी? विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे भगवान शिव-पार्वती
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कब है रंगभरी एकादशी? विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे भगवान शिव-पार्वती

Falgun Ekadashi 2024 Kab Hai: रंगभरी एकादशी का इंतजार काशी के लोग बेसब्री से करते हैं. इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का गौना हुआ था. रंगभरी एकादशी के दिन काशी में जमकर होली खेली जाती है. 

कब है रंगभरी एकादशी? विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे भगवान शिव-पार्वती

Amalaki Ekadashi 2024 Date: वैसे तो सभी एकादशी तिथि भगवान विष्‍णु को समर्पित हैं लेकिन रंगभरी एकादशी इस मामले में खास है. इस एकादशी पर भगवान विष्‍णु-माता लक्ष्‍मी और भगवान शिव-माता पार्वती की भी विशेष पूजा होती है. रंगभरी एकादशी पर काशी में महोत्‍सव होता है. इस दिन से ही शिव की नगरी काशी में होली का पर्व शुरू होता है, जो 6 दिन तक चलता है. रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन आंवले पेड़ की भी पूजा होती है. मान्‍यता है कि आमलकी एकादशी की व्रत-पूजा जन्‍म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाती है. 
  
...इसलिए खास है रंगभरी एकादशी 

फाल्गुन मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी मनाई जाती है. मान्‍यता है कि फाल्‍गुन शुक्‍ल एकादशी के दिन भगवान शिव विवाह के बाद पहली बार माता पार्वती को काशी लेकर गए थे. इसके बाद काशी में खूब होली खेली गई थी. इसलिए इसे रंगभरी एकादशी कहते हैं. हर साल रंगभरी एकादशी से काशी में होली पर्व शुरू होता है जो अगले 6 दिनों तक चलता है. 

साल 2024 में कब है रंगभरी एकादशी 

पंचांग के अनुसार आमलकी/रंगभरी एकादशी तिथि 19 मार्च को रात में 12 बजकर 22 मिनट पर आरंभ होगी और 20 मार्च को रात में 2 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च को पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा और व्रत का पारण का समय 21 मार्च को सुबह 9 बजे से पहले किया जाएगा. 20 मार्च को ही काशी में रंगभरी एकादशी पर होली खेली जाएगी. 

रंगभरी एकादशी पर शिव जी को करें प्रसन्‍न 

रंगभरी एकादशी का दिन शिव जी को प्रसन्‍न करने के लिए बहुत खास होता है. इसके लिए रंगभरी एकादशी पर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें. रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें. फिर व्रत का संकल्प लें. शिव जी के मंदिर जाकर एक लोटे में गंगाजल लें इसमें कच्चा दूध, शहद, गंगाजल, चावल आदि मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें. उन्‍हें बेलपत्र अर्पित करें. साथ ही इस दिन महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार का सामान भी अर्पित करें. भगवान शिव और माता पार्वती को रंग-गुलाल अर्पित करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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