रोज वेदपाठ के साथ संगीत भी सुन रहे रामलला, राजकुमार की तरह हो रही है देखभाल
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रोज वेदपाठ के साथ संगीत भी सुन रहे रामलला, राजकुमार की तरह हो रही है देखभाल

Ram Mandir Darshan Time: अयोध्‍या के राम मंदिर में विराजमान हुए रामलला के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंच रहे हैं. भक्‍तों की भीड़ के बाद भी रामलला की देखरेख राजकुमार की तरह की जा रही है, ताकि उन्‍हें कोई समस्‍या ना हो. 

रोज वेदपाठ के साथ संगीत भी सुन रहे रामलला, राजकुमार की तरह हो रही है देखभाल

Ramlala Daily Routine: राम मंदिर में विराजित हुए रामलला 5 वर्ष के बालक हैं. उनकी आभा देखने लायक है. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु अपने आराध्‍य प्रभु राम के दर्शन करने के लिए अयोध्‍या पहुंच रहे हैं और रामलला के दर्शन पाकर भाव-विभोर हो रहे हैं. वहीं 24 घंटे रामलला के भोजन, शयन, आराम आदि सभी क्रियाओं का पूरा ध्‍यान रखा जा रहा है. भक्‍तों को दर्शन देने के बीच रामलला सहज रहें इसका भी ध्‍यान रखा जाता है. कुल मिलाकर रामलला की देखभाल एक राजकुमार की तरह ही की जा रही है, जो 5 वर्ष के बालक हैं. फिर चाहे उनकी रुचि के भोजन की हो, आराम की हो या मनोरंजन की हो. 
 
तय है पूरी दिनचर्या 

रामलला की पूरी दिनचर्या तय है. इसके लिए श्री रामोपासना संहिता बनाई गई है और उसी के आधार पर रामलला की देखरेख की जा रही है. 

जागरण- रामलला को रोज सुबह अर्चक 4 बजे वैसे ही जगाते हैं जैसे माता कौशल्या उन्‍हें जगाती थीं. फिर रामलला के जयकारे लगाए जाते हैं. बालक राम का बिस्तर ठीक किया जाता है. उन्हें मंजन कराया जाता है. फिर रामलला को मुकुट या पगड़ी पहनाई जाती है, क्योंकि वे राजकुमार हैं. बालक राम को सिर कभी खुला लहीं रखा जाता है क्‍योंकि वे राजकुमार हैं. 

भोग - इसके बाद रामलला को उनकी रुचि के अनुसार अखंड फल का भोग लगता है. इसमें रामलला की पसंद के अनुसार फल, रबड़ी, मालपुआ, मक्खन, मिश्री, मलाई आदि होती है. भगवान को मालपुआ बहुत पसंद है. 

पूजन आरती - फिर रामलला की पूजन और मंगला आरती होती है. इस दौरान रामलला को सफेद गाय और बछड़े का दर्शन कराया जाता है. फिर स्‍वर्ण गज का दर्शन कराया जाता है. इसके बाद रामलला दान देते हैं. 

स्‍नान-श्रृंगार - इसके बाद रामलला को राजकीय पद्धति से स्नान कराके दिन और मौकों के अनुसार वस्‍त्र पहनाए जाते हैं. उनका श्रृंगार किया जाता है. रामलला सप्‍ताह के अलग-अलग दिनों में अलग-अलग रंग के वस्‍त्र पहनते हैं. उनकी शृंगार आरती होती है. यह पूरी प्रक्रिया सुबह के साढ़े 6 बजे तक चलती है. 

रामलला के दर्शन - इसके बाद सुबह 6:30 बजे से रामलला भक्‍तों को दर्शन देते हैं. चूंकि रामलला बालक रूप में हैं और वे लगातार भक्‍तों को दर्शन नहीं दे सकते हैं, लिहाजा उन्‍हें सहज रखने के लिए 9:30 बजे कुछ देर के लिए पट बंद किए जाते हैं. उन्‍हें फिर से फल-दूध आदि का भोग लगाया जाता है. उनके कपड़े ठीक किए जाते हैं और इसके बाद रामलला 11:30 बजे तक दर्शन देते हैं. 

राजभोग - सुबह 11:30 बजे रामलला को राजभोग लगता है. उन्‍हें राजभोग के पद सुनाए जाते हैं. उन्‍हें संगीत सुनाया जाता है. 12 बजे राजभोग आरती होती है. आधे घंटे दर्शन देने के बाद दोपहर 12:30 बजे से रामलला का मध्यान्ह विश्राम शुरू हो जाता है, जो दोपहर ढाई बजे तक चलता है. फिर बालक राम को जगाया जाता है, उन्‍हें भोग लगाया जाता है और फिर भक्‍तों के लिए कपाट खोल दिए जाते हैं. 

संध्‍या आरती - शाम 6:30 बजे संध्या आरती होती है. बीच में थोड़ी देर के लिए एक बार फिर रामलला को सहज करने के लिए पट बंद किए जाते हैं. इसके बाद भोग लगाया जाता है. फिर रात करीब 8:00-8:30 बजे शयन आरती होती है. प्रभु को संगीत सुनाया जाता है. भगवान को रोज चारों वेद सुनाए जाते हैं. कहा जाता है कि वेद प्रभु राम की श्‍वास हैं. इसलिए उन्‍हें रोजाना वेद सुनाए जाते हैं. 

फिर रामलला शयन करते हैं और इसके लिए उन्‍हें अनुकूल वस्‍त्र पहनाए जाते हैं. मौसम के अनुसार उनका बिस्तर लगाया जाता है. रात में रामलला के पास पीने का पानी रखा जाता है. भगवान को शयन कराकर बाहर जाते समय अर्चक द्वारपाल से बोल कर निकलते हैं कि भगवान को रात में कुछ जरूरत हो तो उनका ध्यान रखें. 

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