Rudraksh Mala: ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर से हुई थी. इसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है. रुद्राक्ष 14 मुखी, गणेश और गौरी शंकर तीन तरह के होते हैं. रुद्राक्ष को किसी विशेषज्ञ से ही सलाह के बाद धारण करना चाहिए. वहीं, धारण करने के बाद भी कई तरह के नियमों का पालन करना जरूरी है, तभी शुभ परिणाम मिलते हैं.
रुद्राक्ष की माला को सोमवार, पूर्णिमा या अमावस्या के दिन पहनना शुभ माना जाता है. इस माला को 1, 27, 54 या 108 की संख्या में धारण करना चाहिए. रुद्राक्ष को सोने और चांदी के साथ पहनने से जल्द परिणाम मिलने लगते हैं.
मेष और वृश्चिक राशि वालों को तीन मुखी, वृषभ और तुला राशि वालों को छह मुखी और मिथुन और कन्या राशि वालों को चार मुखी की रुद्राक्ष की माला धारण करनी चाहिए. वहीं, कर्क राशि वालों को दो मुखी, सिंह राशि वालों को एक मुखी, धनु और मीन पांच मुखी और मकर और कुंभ राशि वालों को सात मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए.
रुद्राक्ष की माला को पहनने के बाद मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. किसी और इंसान की पहनी हुई रुद्राक्ष की माला को कभी धारण नहीं करना चाहिए. सोते समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए.
किसी जातक की शादी में बार-बार बाधा आ रही है तो उसे गौरी शंकर रुद्राक्ष की माला धारण करनी चाहिए. इससे विवाह से संबंधित परेशानियों से निजात मिलनी शुरू हो जाएगी. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. इससे पढ़ाई में मन भी लगता है.
नौकरी से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. वहीं, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए 11 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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