कब है मोक्षदा एकादशी? सारे सांसारिक सुख और पितरों को मोक्ष दिलाता है ये एक व्रत
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कब है मोक्षदा एकादशी? सारे सांसारिक सुख और पितरों को मोक्ष दिलाता है ये एक व्रत

Mokshada Ekadashi 2023: मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. मोक्षदा एकादशी के नाम से ही जाहिर है कि यह मोक्ष दिलाने वाली है. 

कब है मोक्षदा एकादशी? सारे सांसारिक सुख और पितरों को मोक्ष दिलाता है ये एक व्रत

Mokshada Ekadashi kab hai 2023: भगवान कृष्‍ण का प्रिय महीना मार्गशीर्ष शुरू हो चुका है. इस महीने में कई ऐसे व्रत-त्‍योहार आते हैं, जिनका हिंदू धर्म में बड़ा महत्‍व है. इनमें मार्गशीर्ष महीने के एकादशी व्रत शामिल हैं. जिन्‍हें उत्‍पन्‍ना एकादशी और मोक्षदा एकादशी कहते हैं. मार्गशीर्ष महीने में सत्‍यनारायण की पूजा करने से बहुत पुण्‍य मिलता है. साथ ही ये दोनों एकादशी व्रत करने से भगवान श्रीहरि की विशेष कृपा मिलती है. मोक्षदा एकादशी व्रत करने से व्रती को सारे सुख मिलते हैं, उसके सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं. साथ ही उसके पितरों को मोक्ष दिलाते हैं. मोक्षदा एकादशी का व्रत रखना, विधि-विधान से पूजा करना और व्रत की कथा पड़ना बहुत लाभ देगा. 

इस तारीख को है मोक्षदा एकादशी 

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 दिसंबर की सुबह 08.16 बजे शुरू होगी और 23 दिसंबर की सुबह 7 बजे समाप्‍त होगी. उदया तिथि के अनुसार, 22 दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी और व्रत रखा जाएगा. 

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार वैखानस नाम के राजा ने सपने में देखा कि उनके पूर्वज नरक में बहुत ही यातना झेल रहे हैं. सुबह उठते ही उन्होंने अपने दरबार में पुरोहितों को बुलाया और इस सपने का अर्थ पूछा. तब राजपुरोहितों ने राजा को इस समस्या के समाधान के लिए ऋषि पर्वत मुनि के पास जाने की सलाह दी. 

जब राजा ऋषि पर्वत मुनि के पास गए और उनसे इसका अर्थ, उपाय पूछा तो ऋषि ने कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कीं. इसके बाद ऋषि ने बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा जो पाप किए गए हैं, उसके परिणाम स्वरुप उन्‍हें नर्क में यातनाएं सहनी पड़ रही है. राजा ने ऋषि से अपने पितरों को यातनाओं से मक्ति दिलाने और मोक्ष दिलाने का उपाय पूछा. तब ऋषि के कहा कि यदि वे पूरे भक्ति-भाव से मोक्षदा एकादशी का व्रत करेंगे तो उनके पूर्वजों को जरूर मोक्ष की प्राप्ति होगी. इसके बाद राजा ने अपनी पत्नी, बच्चों और रिश्तेदारों के साथ बड़ी श्रद्धा के साथ यह व्रत किया. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उनके पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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