Mithun Sankranti 2022: मिथुन संक्रांति पर आखिर क्यों पूजा जाता है सिलबट्टा, जानें पुण्यकाल और महापुण्य काल का समय
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Mithun Sankranti 2022: मिथुन संक्रांति पर आखिर क्यों पूजा जाता है सिलबट्टा, जानें पुण्यकाल और महापुण्य काल का समय

Mithun Sankranti 2022 Date: हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है. सूर्यदेव के राशि परिवर्तन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है. जिस राशि में सूर्यदेव प्रवेश करते हैं, उसे उसी संक्रांति के नाम से जाना जाता है. 15 जून को सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश करने वाले हैं. इसलिए इसे मिथुन संक्रांति के नाम से जाना जाएगा.

 

फाइल फोटो

Mithun  Sankranti Significance 2022: सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता है. इस साल 15 जून को सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे और इस दिन मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी. सालभर में कुल 12 संक्रांति मनाई जाती है. इसमें हर महीने सूर्य देव अलग-अलग राशि और नक्षत्र में विराजमान होते हैं. ये दिन सूर्यदेव की पूजा को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान के साथ सूर्य देव की पूजा की जाती है. 

ज्योतिष अनुसार अब सूर्य देव इस राशि में एक माह तक रहेंगे. इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है. इस दिन को रज संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानें इस दिन का पुण्यकाल और महापुण्यकाल का समय और इस दिन की विशेषता के बारे में. 

मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त 2022 

 

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मिथुन संक्रांति इस साल 15 जून को मनाई जाएगी. मिथुन संक्रांति का पुण्यकाल का समय दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. बता दें कि पुण्यकाल की पूरी अवधि 7 घंटे 2 मिनट है. वहीं, महापुण्य काल का समय दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 38 मिनट कर रहेगा. इसकी कुल अवधि 2 घंटा 20 मिनट है. 

जानें क्यों होती है सिलबट्टे की पूजा

-मिथुन संक्रांति के दिन जहां स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है. वहीं, आज के दिन सिलबट्टे की पूजा का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि ये तीन दिन धरती मां के मासिक धर्म के दिन होते हैं. वहीं, चौथा दिन धरती मां के स्नान का होता है. इसे वसुमती गढ़ुआ कहते हैं. 

 

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- धार्मिक मान्यता है कि सिलबट्टे को धरती माता का रूप माना गया है. इसलिए इन दिनों में इसका उपयोग न करें. इसके बाद चौथे दिन सिलबट्टे को जल और दूध से स्नान कराया जाता है. इसके बाद चंदन, फूल और सिंदूर से सिलबट्टे की पूजा की जाती है. 

- मिथुन संक्रांति पर दान का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन गेंहू, घी और अनाज आदि का दान किया जाता है. 

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

 

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