Mahakal Hadsa: क्‍या पूजन सामग्री की ज्‍यादा मात्रा से प्रसन्‍न होते हैं भगवान? उज्‍जैन हादसे के बाद सवाल
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Mahakal Hadsa: क्‍या पूजन सामग्री की ज्‍यादा मात्रा से प्रसन्‍न होते हैं भगवान? उज्‍जैन हादसे के बाद सवाल

Mahakal Mandir Ujjain: होली के दिन उज्‍जैन के महाकालेश्‍वर मंदिर में भस्‍म आरती के दौरान हुए हादसे में 14 लोग आग में बुरी तरह झुलस गए. आग आरती के दौरान बड़ी मात्रा में उड़ाई गई गुलाल से लगी. जिसने नया सवाल खड़ा कर दिया है. 

Mahakal Hadsa: क्‍या पूजन सामग्री की ज्‍यादा मात्रा से प्रसन्‍न होते हैं भगवान? उज्‍जैन हादसे के बाद सवाल

Ujjain Mahakal Mandir Hadsa: मध्‍यप्रदेश के उज्‍जैन शहर में स्थित ज्‍योतिर्लिंग महाकालेश्‍वर की होली मशहूर है. हर साल बाबा महाकाल के साथ रंग-गुलाल खेलने के लिए दूर-दूर से यहां भक्‍त आते हैं. महाकाल मंदिर की भस्‍म आरती बहुत खास होती है. तड़के सुबह 4 बजे होने वाली भस्‍म आरती में शामिल होने के लिए भी भक्‍तों की लंबी कतार होती है. इस साल होली के दिन भस्‍म आरती में शामिल होने के लिए बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु पहुंचे थे. लेकिन तभी एक बड़ा हादसा हो गया. भस्‍म आरती के दौरान बड़ी मात्रा में उड़ाई गई गुलाल से आग लग गई, जिसकी चपेट में आने पुजारी समेत 14 लोग झुलस गए. अब उनका अस्‍पताल में इलाज चल रहा है. 

बड़ी मात्रा में उड़ाई गई गुलाल 

अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार भस्म आरती के दौरान जैसे ही कपूर पर गुलाल पड़ी तो उससे आग भड़ गई थी. चूंकि गर्भ गृह में जगह ज्यादा नहीं थी और लोग ज्यादा थे, ऐसे में आग में ज्यादा लोग झुलस गए. अब इस मामले की जांच की जा रही है कि पूजा सामग्री और उड़ाई गई गुलाल में कौन सी चीजें थीं, जिसके कारण आग भड़की. साथ ही यह हादसा बड़ी मात्रा में गुलाल उड़ाने के चलते हुआ. खबरों के अनुसार करीब एक से डेढ़  क्विंटल गुलाल उड़ाई गई थी. लिहाजा इस पर भी जांच हो रही है कि इतनी बड़ी मात्रा में गुलाल अंदर कैसे और किसकी अनुमति से पहुंची. खैर, जांच में जो भी नतीजे सामने आएं, लेकिन एक सवाल सामने है कि क्‍या इतनी बड़ी मात्रा में गुलाल उड़ाना उचित था? क्‍या ऐसा करने से भगवान महाकाल ज्‍यादा प्रसन्‍न होते? आइए जानते हैं कि इस मामले में ज्‍योतिष विद्वानों का क्‍या कहना है.  

भगवान भक्ति देखते हैं मात्रा नहीं 

उत्‍थान ज्‍योतिष संस्‍थान के निदेशक डॉ. दिवाकर त्रिपाठी, पूर्वांचली कहते हैं कि पूजा हमेशा शास्‍त्रों में बताए गए विधि-विधान से होनी चाहिए. इस दौरान पूजन सामग्री की मात्रा में भी संतुलन होना जरूरी है. बहुत ज्‍यादा मात्रा में पूजन सामग्री चढ़ाने से पूजा का फल ज्‍यादा मिलेगा, ऐसा नहीं है. जहां तक बात होली पर भगवान को गुलाल अर्पित करने की है तो भगवान को सामान्‍य विधि से गुलाल चढ़ाई जानी थी. 2 क्विंटल गुलाल चढ़ाना तो अतिशय है. जरा सोचिए, आप किसी व्‍यक्ति को भी गुलाल लगाएंगे तो ज्‍यादा से ज्‍यादा 50-100 ग्राम लगाएंगे. किसी पर 2 किलो गुलाल नहीं डालेंगे. तो भगवान के साथ ऐसा क्‍यों? 

तो फिर कई क्विंटल भोग क्‍यों? 

इस पर फिर यह सवाल उठता है कि क्‍या बड़ी मात्रा में भोग लगाना भी गलत है, तो इसका जवाब है- नहीं. चूंकि जब बड़ी मात्रा में भगवान को भोग लगाया जाता है तो उसे ज्‍यादा से ज्‍यादा भक्‍तों में बांटा भी जाता है. इससे बहुत पुण्‍य लाभ मिलता है. ज्‍यादा लोगों को प्रसाद मिलता है. लेकिन भोग के अलावा बाकी पूजन सामग्री का बहुत ज्‍यादा मात्रा में चढ़ाने का कोई मतलब नहीं है. लेकिन ज्‍यादा मात्रा में भोग चढ़ाते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि भोग की अवमानना भी नहीं होनी चाहिए. यदि अत्‍यधिक मात्रा में भोग लगा दिया जाए और फिर लोगों में उसे बांट ना पाएं तो इसका भी नकारात्‍मक परिणाम मिलेगा. लिहाजा संतुलन का ध्‍यान रखना चाहिए. 

पंडित डॉ. दिवाकर त्रिपाठी कहते हैं कि बेहतर है भगवान को अर्पित की जाने वाली चीजों का पूरा विधि-विधान जो शास्‍त्रों में बताया गया है, उसका ही पालन किया जाए. तभी शुभ परिणाम मिलता है. 

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