Mahakumbh 2025: महाकुंभ की चर्चा होने पर अखाड़ों को लेकर लोगों की जिज्ञासा बलवती हो जाती है. आइए जानते हैं पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ( प्रयागराज) के बार में खास बातें.
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Shri Panchayati Akhada Mahanirvani: अबकी बार प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आगाज होने जा रहा है. 30-45 दिन तक चलने वाले इस महाकुंभ का समापन 26 फरवरी 2025 को होगा. महाकुंभ में अखाड़ों की भूमिका पहले से महत्वपूर्ण रही है. कहा जाता है कि धर्म की रक्षा के लिए तमाम अखाड़ों की स्थापना हुई. महाकुंभ की चर्चा होने पर अखाड़ों को लेकर लोगों की जिज्ञासा बलवती हो जाती है. अखाड़ों के निर्माण का इतिहास काफी पुराना है. देश में इस वक्त 13 प्रमुख अखाड़े हैं जिसमें से एक पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ( प्रयागराज) भी है.
पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की स्थापना कब हुई
पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ( प्रयागराज) की स्थापना विक्रम संवत् 805 में की गई थी. इस अखाड़े की स्थापना अटल अखाड़े से जुड़े 8 संतों ने मिलकर की थी. कहा जाता है कि इस अखाड़े के इष्ट देव कपिल भगवान हैं. जबकि, इस अखाड़े का गठन बिहार के हजरीबाग जिले स्थित गडकुंडा के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में किया गया. हालांकि, प्रयागराज पहुंचने पर इस अखाड़े का नाम श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा कर दिया गया. जिसके बाद इसमें अटल अखाड़े के कई साधु-संत शामिल हो गए और फिर इस अखाड़े को शक्ति के रूप में भाले दिए गए. बता दें कि पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा का इतिहास 1200 साल पुराना है.
भोजन पकाने की परंपरा है अनूठी
श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में भोजन पकाने की परंपरा अनूठी है. इस अखाड़े में भोजन पकाने के लिए आज भी गाय के गोबर से बने कंडे और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. इस अखाड़े में साधु-संतों की देखरेख में पूर्ण रूप से सात्विक भोजन पकाया जाता है. इस अखाड़े में एक गोशाला भी है. जहां साधु-संत समय-समय पर गोसेवा भी करते हैं. श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के प्रमुख महंत यमुना पुरी हैं.
2 दिव्य भालों को कराया जाता है शाही स्नान
श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा को शक्ति स्वरूप प्रदान किए गए 2 भालों के नाम सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश है. ये दोनों ही भाले शक्ति के स्वरूप माने जाते हैं. दोनों ही भालों को अखाड़े में मंदिर के इष्ट देव के पास रखा जाता है. जहां इष्ट देव के साथ ही दोनों भालों की पूजा की जाती है. महाकुंभ के दौरान शाही स्नान की यात्रा के क्रम में दोनों भालों को अखाड़े के दो संत अपने साथ लेकर सबसे आगे चलते हैं. शाही स्नान में सबसे पहले दोनों भालों को स्नान कराया जाता है. इसके बाद साधु-संत स्नान करते हैं.
कैसे बनते हैं पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के सदस्य?
पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में शामिल होने के लिए जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. पूरी तरह से जांच-पड़ताल के बाद ही किसी को इस अखाड़े का सदस्य बनाया जाता है. इसके अलावा इस अखाड़े में किसी को जिम्मेदारी वाला पद देने के लिए लोकतांत्रिक तरीका इस्तेमाल किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)