Kharmas: कल यानि की रविवार 15 दिसंबर को खरमास लगेगा. सूर्य देव 15 दिसंबर को रात्रि के समय 8 बजकर 49 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. जिस वक्त सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करेंगे उसी समय से खरमास की शुरुआत हो जाएगी.
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Kharmas: कल यानि की रविवार 15 दिसंबर को खरमास लगेगा. सूर्य देव 15 दिसंबर को रात्रि के समय 8 बजकर 49 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. जिस वक्त सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करेंगे उसी समय से खरमास की शुरुआत हो जाएगी. इस खरमास का समापन नए साल यानि कि साल 2025 में मकर संक्रांति पर होगा. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर खरमास लगता क्यों है. तो आज हम आपको बता रहे हैं.
खरमास की पौराणिक कथा
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब भी सूर्य देव बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो खरमास लग जाता है. पौराणिक और धार्मिक मान्यता के मुताबिक सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाते हैं. जिस वक्त ये घोड़े थक जाते हैं उसी समय खरमास लगता है क्योंकि इस वक्त सूर्य देव परिक्रमा नहीं करते हैं. सिर्फ आराम करते हैं.
सूर्य के घोड़े करते हैं आराम
मान्यता के मुताबिक जब सूर्य के घोड़े आराम करते हैं उस वक्त सूर्य देव की गति और तेज कम हो जाता है. मान्यता के मुताबिक जिस वक्त सूर्द देव घोड़े से उतर जाते हैं उस समय वह गदहे पर विचरण करते हैं. चूंकि गदहा धीरे चलता है और उसकी चाल धीरे होती है इस कारण इस महीने को खरमास कहा जाता है.
क्या है खरमास का अर्थ
खरमास को अगर संधि विच्छेद करें तो इसका अर्थ है खर और मास. खर का मतलब होता है गदह और मास का मतलब होता है महीना. यानि जब खरमास लगता है तो कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि खरमास के महीने में अगर कोई भी व्यक्ति शुभ कार्य की शुरुआत करता है तो उसे उम्मीद के अनुरूप फल नहीं मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)