ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 Date: इस साल का ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत आज 21 जून 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा. साथ ही आज वट पूर्णिमा पर्व भी मनाया जाएगा. वहीं पूर्णिमा का स्नान-दान कल करना उचित होगा.
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Jyeshtha Purnima Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का बड़ा महत्वपूर्ण माना गया है. इसी दिन वट सावित्री पर्व मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट पूर्णिमा का व्रत करती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. क्योंकि इसी दिन यमराज ने सावित्री के पति को जीवनदान दिया था. साथ ही पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा करके उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. पवित्र नदी में स्नान और दान किया जाता है. वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रखने से देवी-देवताओं की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है और दुख, पाप, कष्ट नष्ट होते हैं. इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत और स्नान-दान की तिथि को लेकर बड़ा संशय है. जानिए इसकी वजह और सही तिथि, पूजा का शुभ समय.
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत आज
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 21 जून 2024 को सुबह 06 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है और यह तिथि 22 जून 2024 को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में दोनों दिन ही पूर्णिमा तिथि रहेगी. चूंकि पूर्णिमा व्रत में चंद्रमा और भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसलिए पूर्णिमा का चंद्रोदय 21 जून को रहने से आज 21 जून, शुक्रवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा.
लिहाजा आज ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रखने और इसकी पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 31 से सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक होगा.
...लेकिन पूर्णिमा का स्नान-दान कल
वहीं पूर्णिमा का स्नान ब्रह्म मुहूर्त में करने का महत्व है इसलिए ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान दान 22 जून 2024, शनिवार को करना उचित होगा. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान के लिए शुभ समय 22 जून को ब्रह्म मुहूर्त से सुबह 7 बजकर 28 मिनट तक है. वहीं दान पूरे दिन किया जा सकेगा.
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें ये काम
- ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुहागिनें अखंड सौभाग्य, वैवाहिक सुख, धन-समृद्धि पाने के लिए वट सावित्री पूर्णिमा व्रत करें. फिर विधि-विधान से बरगद के पेड़ की पूजा करें. वट पूर्णिमा की कथा पढ़ें या सुनें.
- ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गंगा, नर्मदा या किसी पवित्र नदी के जल से स्नान करें.
- सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर विधि-विधान से लक्ष्मीनारायण की पूजा करें. पंचामृत का भोग लगाएं. फल, फूल, मिठाई, हल्दी-अक्षत अर्पित करें. आरती करें.
- दान अवश्य करें, तभी व्रत पूजा का पूरा फल मिलेगा.
(Dislaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)