Gopashtami 2024: क्या आपको पता है कि राधा रानी ग्वालों की भेष में गाय चराने जाती थी. इस दिन कृष्ण और राधा दोनों ने गाय चराने की शुरुआत की थी. जिसके बाद से इस दिन को गोपाष्टमी के त्योहार के रूप में मनाते हैं.
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Gopashtami 2024: आज गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान कृष्ण पहली बार गाय चराने के लिए गए थे. जिसके बाद से इस दिन को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा. उसी दिन के बाद से हर साल गोवर्धन पूजा के सात दिन बाद इस त्योहार को मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई. इस दिन गौ माता और बछड़े की पूजा की जाती है.
गाय और बछड़े की पूजा के दौरान भगवान श्री कृष्ण को भी याद किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गाय की पूजा करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल देते हैं. गोपाष्टमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है. आज हम आपको दो पौराणिक कथाओं के बारे में बताते हैं.
पहली पौराणिक कथा
जब भगवान कृष्ण पांच साल पूरा करके छठे साल में पहुंचे तो उन्होंने यशोदा मैया के सामने जिद्द ठान दी. जिद्द ऐसी थी कि यशोदा मैया को कुछ सूझ नहीं रहा था. बाल कृष्ण यशोदा मैया से कहने लगे मैया अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब मैं इन बछड़ों के अलावा गाय भी चराने जाउंगा. पहले तो मैया यशोदा उन्हें बहलाने फुसलाने की कोशिश की. लेकिन, जब कृष्ण अपनी हठ पर अड़े हए थे तब मैया को अपनी बाल कृष्ण के आगे हार माननी पड़ी.
आज्ञा के लिए नंदबाबा के पास भेजा
मैया यशोदा ने उन्हें इस बात की आज्ञा लेने के लिए नंदबाबा के पास भेज दिया. मैया को शायद उम्मीद थी कि नंद बाबा बाल कृष्ण को समझा बुझाकर शांत करा देंगे. लेकिन कृष्ण तो ठहरे कृष्ण. उन्होंने नन्दबाबा के सामने भी अपनी हठ जारी रखी. उन्होंने कहा कि अब गैया तो वो ही चराएंगे.
भगवान के सामने नंदबाबा की एक न चली
भगवान कृष्ण की हठ के सामने जब नंद बाबा की एक न चली तब वह गैया चराने के लिए मुहूर्त निकलवाने के लिए शांडिल्य ऋषि के पास पहुंच गए. जब नंदबाबा ने शांडिल्य ऋषि को यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि मुहूर्त तो अभी इसी समय बन रहा है. शेष कोई अन्य मुहूर्त नहीं हैं अगले एक साल तक. उसी दिन के बाद से हर साल गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाने लगा.
दूसरी पौराणिक कथा
गोपाष्टमी से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है. इस दिन राधा रानी भी अपनी गैया को चराने के लिए घर से बाहर वन में जाना चाहती थी. लेकिन, लड़की होने के कारण उन्हें कोई हां नहीं कर रहा था. काफी कोशिश के बाद जब राधा रानी थक हाल गई तब उन्हें एक तरकीब सूझी. वह ग्वालों जैसे कपड़े पहनकर वन में प्रभु श्रीकृष्ण के साथ गाय चराने निकल गई.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)