PM Modi on Foreign Destination Wedding: डेस्टिनेशन वेडिंग करना कितना सही? ज्‍योतिषाचार्य से जानें सही जवाब
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PM Modi on Foreign Destination Wedding: डेस्टिनेशन वेडिंग करना कितना सही? ज्‍योतिषाचार्य से जानें सही जवाब

Hindu Wedding: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भारतीयों से अपील की है कि वे विदेश में जाकर शादी करने की बजाय भारत में ही शादी करें. आइए धर्म-ज्‍योतिष की नजर से जानते हैं कि विदेश जाकर शादी करना कितना उचित है?

PM Modi on Foreign Destination Wedding: डेस्टिनेशन वेडिंग करना कितना सही? ज्‍योतिषाचार्य से जानें सही जवाब

Hindu Wedding Significance: भारत परंपराओं, रस्‍मों-रिवाज का देश है. यहां शादी एक बड़ा उत्‍सव होता है और देश के कोने-कोने में शादी को लेकर कई तरह के रस्‍म और रिवाज निभाए जाते हैं. भारतीय परंपरा में दूल्‍हा अपने परिवार और रिश्‍तेदारों के साथ धूमधाम से बारात लेकर दुल्‍हन को ब्‍याहने जाता है. फिर दुल्‍हन विवाह के बाद अपनी ससुराल आती है और पूरी आवभगत के साथ उसका गृहप्रवेश होता है. इस दौरान कई तरह की रस्‍मे निभाईं जाती हैं. पिछले कुछ सालों में शादी करने को लेकर डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन चल पड़ा है. यानी कि दूल्‍हा-दुल्‍हन अपने परिवार-रिश्‍तेदारों सहित देश-विदेश के किसी विशेष स्‍थान पर जाकर शादी रचाते हैं. वहीं अमीर वर्ग में विदेश की मशहूर जगहों पर जाकर शादी करने का चलन लोकप्रिय है. 

पीएम मोदी ने की देश में शादी रचाने की अपील 
 
बीते रविवार को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन भारतीय दौलतमंदों से अपील की है जिन्हें विदेश में जाकर शादी करना पसंद है. उन्‍होंने इस ट्रेंड पर पीड़ा जताते हुए कहा कि यदि लोग भारत में ही विवाह करें तो इससे देश को आर्थिक मजबूती देने में बड़ी मदद मिल सकती है. भारतीय लोग शादी में बहुत खर्च करते हैं, यदि वे भारत में ही विवाह रचाएंगे तो देश का पैसा देश में ही रहेगा. पीएम ने शादियों को वोकल फॉर लोकल कैंपेन से जोड़ा है. 

क्‍या कहता है ज्‍योतिष?  

जाहिर है देश में ही रहकर शादी रचाने से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को तो फायदा होगा ही, वहीं धर्म-ज्‍योतिष में भी इसे सही बताया गया है. ज्‍योतिषाचार्य आलोक अवस्‍थी के अनुसार हिंदू शादियों में विवाह से पहले कुलदेवी-कुल देवता की पूजा करके उनका आह्वान करते हैं. स्‍थान देवता और कुल देवता मिलकर पूर्व पुण्‍यों को जाग्रत करते हैं, जिससे नवदंपत्ति का जीवन सुखमय होता है. 

यदि लड़की-लड़की अपनी जन्‍मभूमि भारत से बाहर जाकर विवाह करते हैं, तो स्‍थान बदलने के कारण स्‍थान देवता जाग्रत नहीं होते हैं. इससे उन्‍हें नए जीवन को शुरू करने के लिए वह सकारात्‍मक ऊर्जा और दैवीय आशीर्वाद नहीं मिल पाता है, जो देश में रहते हुए मिल सकता है. यही वजह है कि कई अप्रवासी भारतीय विवाह करने के लिए अपने देश का रुख करते हैं. 

वास्‍तु भी डालता है असर 

वहीं जब लड़का-लड़की अपने जन्‍मस्‍थान या उसके आसपास के किसी स्‍थान से विवाह करते हैं, तो वास्‍तु की सोलह दिशाओं की ऊर्जा उन पर सकारात्‍मक प्रभाव डालती है. वहीं जन्‍मस्‍थान से ज्‍यादा दूरी पर जाकर विवाह करना दूल्‍हा-दुल्‍हन के बुरी या नकारात्‍मक शक्तियों की चपेट में आने का जोखिम पैदा करती है. 

यही वजह है कि विवाह के लिए जाते समय दूल्‍हा निकासी की रस्‍म होती है. इसमें दूल्‍हे की माता द्वारा की गईं रस्‍में दूल्‍हे को बुरी शक्तियों से बचाते हैं. वहीं विवाह के बाद दुल्‍हन का गृहप्रवेश खास रस्‍मों के साथ किया जाता है. यहीं से दूल्‍हा-दुल्‍हन का भाग्‍य मिल जाता है, जिससे पूरे परिवार का वास्‍तु ठीक हो जाता है. इसलिए कहा जाता है कि विवाह के बाद घर में लक्ष्‍मी आती है. 

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