Chaiti Chhath 2024 Shubh Muhurat: हर साल छठ का पर्व दो बार मनाया जाता है एक चैत्र महीने में और दूसरा कार्तिक महीने में. हर साल चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के साथ चैती छठ की शुरुआत होती है. इसके चलते इस साल 12 अप्रैल से चैती छठ की शुरुआत हो चुकी है.
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Chaiti Chhath 2024: हर साल छठ का पर्व दो बार मनाया जाता है एक चैत्र महीने में और दूसरा कार्तिक महीने में. हर साल चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के साथ चैती छठ की शुरुआत होती है. इसके चलते इस साल 12 अप्रैल से चैती छठ की शुरुआत हो चुकी है. वहीं, 15 अप्रैल यानी कल सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ का समापन होगा. आज यानी 14 अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को छठव्रतीअर्घ्य अर्पित करेंगे. आइए जानते हैं आज के अर्घ्य का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि.
नोट करें अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
चैती छठ को यमुना छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस त्योहार पर स्नान-दान का विशेष महत्व होता है. आज यानी 14 अप्रैल को सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 20 मिनट से लेकर 5 बजकर 55 मिनट तक है. इस अवधि में छठव्रती सूर्यदेव को अर्घ्य दे सकते हैं.
कल का शुभ मुहूर्त
चैती छठ का समापन कल यानी 15 अप्रैल को उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर समापन होगा. कल के अर्घ्य का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
जरूरी नियम
- छठ पूजा में इस्तेमाल हो रही पूजा सामग्री को साफ-शुद्ध हाथों से ही छूना चाहिए. अगर आप किसी भी पूजा की सामग्री को छूने जा रहे हैं तो पहले हाथ जरूर धो लें.
- छठ व्रती को बिस्तर पर सोने से परहेज करना चाहिए. छठ के त्योहार पर जमीन पर सोना ही अच्छा माना जाता है.
- छठ के पावन त्योहार पर क्षमता के अनुसार जरूर दान करना चाहिए. आप जरूरतमंदों को कपड़ों का दान कर सकते हैं और खाना भी खिला सकते हैं.
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जरूर करें छठी मैया की आरती
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)