Meaning of Tankhaiya: आखिरकार अकाल तख्त के दबाव में सुखबीर बादल को पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी ही पड़ गई. अकाल तख्त ने उन्हें तनखैया घोषित कर रखा था, जिसके बाद अब यह एक्शन हुआ है.
Trending Photos
Tankhaiya Kya Hota Hai: अकाल तख्त की ओर से तनखैया घोषित होने के बाद आखिरकार सुखबीर सिंह बादल को पार्टी की लीडरशिप छोड़नी ही पड़ गई. बादल ने अकाली दल बादल पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है. इसके साथ ही अकाल तख्त के जत्थेदार से आग्रह किया है कि वे उन्हें तनखैया की सजा का ऐलान करे. बादल ने यह भी कहा कि वे माफी मांगने के लिए जल्द ही अकाल तख्त के सामने पेश होंगे.
सुखबीर बादल को मिली इस सजा के बाद तनखैया शब्द एक बार फिर चर्चा में आ गया है. आखिर इस शब्द का मतलब क्या है और इसमें किसी को दोषी कैसे करार दिया जाता है. दोषी पाए गए व्यक्ति को किस तरह की सजा दी जाती है. आइए इन सब सवालों का हम विस्तार से जवाब देते हैं.
आखिर क्या होता है तनखैया?
तनखैया एक पंजाबी शब्द है, जिसका अर्थ है धर्म के मार्ग से भ्रष्ट हो चुका व्यक्ति. सिख धर्म में सर्वोच्च माने जाने वाले अकाल तख्त के जत्थेदार को जब लगता है कि कोई सिख व्यक्ति सिक्खी के नियमों का उल्लंघन कर रहा है या दिए गए निर्देशों का सही ढंग से पालन नहीं कर रहा है तो वह उसे तनखैया घोषित कर दिया जाता है. एक बार ऐसा घोषित कर दिए जाने पर वह व्यक्ति अस्थाई तौर पर सिख धर्म से बहिष्कृत कर दिया जाता है. धार्मिक नियमों का गुनाहगार पाया गया ऐसा व्यक्ति न तो खुद किसी गुरुद्वारे में जाकर अरदास कर सकता है और न किसी अन्य व्यक्ति से करवा सकता है.
सर्वोच्च है जत्थेदार की ताकत
किसी व्यक्ति को तनखैया घोषित करने का आदेश केवल सिख व्यक्ति पर ही लागू होता है. अगर अकाल तख्त के जत्थेदार को लगता है कि सिख की किसी हरकत से पंथ को नुकसान पहुंचा है तो उसे तनखैया घोषित कर पंथ से निष्कासित कर दिया जाता है. इसके बाद वह व्यक्ति पांचों सिंह साहिबान की बैठक में अपना पक्ष रखता है. उसमें धार्मिक गुनाह को देखते हुए या तो सजा घटा दी जाती है या फिर माफ कर दिया जाता है.
तनखैया घोषित व्यक्ति को क्या मिलती है सजा?
सिख धर्म के जानकारों के मुताबिक तनखैया घोषित किसी व्यक्ति को आमतौर पर धार्मिक सजा दी जाती है, जिसका उसे कड़ाई से पालन करना होता है. इस दौरान उसे गुरुद्वारे में जाकर फर्श साफ करने, जूते चमकाने और जूठे बर्तन साफ करने की सजा दी जाती है. इस सजा अवधि के दौरान उसे गुरुद्वारे में ही रहना होता है और पांचों ककार नियमित रूप से धारण करने होते हैं. जब तक उसकी सजा रहती है, वह गुरुद्वारे से बाहर नहीं निकल सकता लेकिन परिवार के लोग उससे मिलने के लिए आ सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)