कहां हुई चुंबन की खोज?
हालांकि बहुत से लोगों का मानना है कि चुंबन की शुरुआत भारत से हुई. बाद में प्राचीन ग्रीक लोग भारत आए और लौटते हुए चुंबन का कंसेप्ट भी साथ ले गए. इसी तरह से ये किस का कॉन्सेप्ट दुनियाभर में फैल गया. हालांकि मध्यकालीन यूरोप में इसे ग्रीटिंग और एक तरह के अभिवादन की तरह स्वीकार किया जाता था. उस दौर में खासकर ब्रिटेन और फ्रांस में बराबरी के लोग (रसूख और ओहदे में) आपस में मिलते वक्त माथे या होठों पर किस करते, जबकि गैर-बराबरी की मुलाकात में केवल नीचे के ओहदे वाला ही ऊपर वाले को चूमता, वो भी हाथ या पैर या फिर कपड़े के किनारे को. वहीं कुछ संत भी माथे पर चूमकर दुआ और आशीर्वाद देते थे.
गहराता गया चुंबन का स्वरूप
आगे चलकर चुंबन का रूप और गहराता गया. खासकर होठों पर चुंबन प्यार का प्रतीक माना जाने लगा. हालांकि फिलहाल किस के जिस स्वरूप पर फ्रांस अपना ठप्पा लगाता है, उसकी शुरुआत किसी फ्रांसीसी जोड़े से हुए होगी, इसपर काफी बहस हो चुकी. हालांकि ये बात अलग है कि उस किस पर तगड़ी दावेदारी फ्रांस की ही मानी जाती है. जबकि पश्चिम के कई मुल्क फ्रेंच किस पर अपनी मुहर लगाना चाहते हैं. हालांकि ऐसे दावों के लिए एकबार फिर एंथ्रोपोलॉजिस्ट की एंट्री होती है जो इसके लिए अलग-अलग तर्क देते हैं.
लग चुका है चुंबन पर बैन
दुनिया में समय समय पर कई महामारिया आई हैं. ऐसे में माना जाता है कि हर ऐसे बुरे दौर में चुंबन पर बैन लगा दिया गया था. पुरानी मिसालों की बात करें तो रोमन शासक टाइबेरिअस ने होठों पर चुंबन पर बैन लगा दिया क्योंकि उसे किसी ने बताया था कि ऐसा करने से यौन रोग फैलने का डर रहता है.
उस राजा की सत्ता इजिप्ट से लेकर स्विटजरलैंड तक थी. इस हिसाब से दुनिया के एक बड़े हिस्से में किस पर बैन लग चुका है. वहीं 17वीं शताब्दी में जब दुनिया का बड़ा हिस्सा प्लेग से दम तोड़ रहा था, उस समय भी ब्रिटेन समेत कई देशों में किस करने पर रोक लगा दी गई थी. कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों को भी ऐसी ही बंदिशों से जोड़ कर देखा जा सकता है. अमेरिका में भी एक दौर ऐसा था जब किसिंग करने को असभ्यता से जोड़कर देखा गया तब इसे बैड मैनर्स की लिस्ट में जगह दी गई और 1925 से लेकर कई सालों तक वहां भी किस पर बैन रहा. जो आगे चलकर बदलते समय में हट गया.
आपके लिए क्या हैं किस करने के मायने?
चुंबन सुनते ही बहुत से लोगों के जेहन में कोई न कोई रोमांटिक तस्वीर बनती है, लेकिन नहीं है, जितना लोगों ने मान रखा है. कम से कम दुनिया की 50% आबादी इस तथ्य से इत्तेफाक नहीं रखती है. आपको बताते चलें कि अमेरिकन एंथ्रोपोलॉजिस्ट एसोसिएशन की एक रिसर्च में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के 150 से ज्यादा परंपराओं और मान्यताओं को शामिल किया गया. उसके नतीजों में ये सामने आया कि सिर्फ 45 से 50% लोग ही हैं जो चुंबन को रोमांस से जोड़ते हैं. बाकियों ने चुंबन को रोमांस से जोड़ने से साफ इनकार कर दिया.
(डिस्क्लेमर: इस लेख में प्रकाशित की गई जानकारी इंटरनेट पर मौजूद सामग्री/कंटेट पर आधारित है. जिसका उद्देश्य पाठकों तक जानकारी मुहैया कराना है. Zee News इसके दावों की पुष्टि नहीं करता है.)
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