Mutual Funds: म्यूचुअल फंड्स में निवेश से हो सकते हैं मालामाल, जान लें जोखिम प्रबंधन कैसे करें
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Mutual Funds: म्यूचुअल फंड्स में निवेश से हो सकते हैं मालामाल, जान लें जोखिम प्रबंधन कैसे करें

Mutual Funds in Hindi: म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना जोखिम भरा तो माना जाता है लेकिन अगर आप रिस्क मैनेज करना सीख लें तो आपको मालामाल होने से भी कोई नहीं रोक सकता.

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड्स में निवेश से हो सकते हैं मालामाल, जान लें जोखिम प्रबंधन कैसे करें

How to manage risk in mutual funds: म्यूचुअल फंड्स निवेश के लिए एक लोकप्रिय साधन है, जिसमें पोर्टफोलियो की विविधता होती है और उसका प्रबंधन व्यावसायिकों द्वारा किया जाता है. लेकिन निवेश के अन्य साधनों की तरह ही म्यूचुअल फंड्स के भी अपने जोखिम हैं और निवेशकों को इनके बारे में जानकारी होनी चाहिए. तो क्या इसका अर्थ यह हुआ कि म्यूचुअल फंड्स में भी जोखिम होने के कारण इससे दूरी बनाए रखना ही ठीक होगा? ज़रा भी नहीं!

यहां मूलतः यही बात ध्यान में रखनी होगी कि म्यूचुअल फंड्स से जुड़े जोखिमों के बारे में निवेशक को पूरी तरह से वाकिफ रहना चाहिए और उन्हीं योजनाओं में निवेश करना चाहिए, जिनसे जुड़े जोखिम उठाने की वह क्षमता रखता हो.

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों के लिए निर्णायक बात यही है कि वे सुनिश्चित करें कि खुद के द्वारा किया जाने वाला निवेश, जोखिम उठाने की अपनी क्षमता तथा अपना वित्तीय लक्ष्य- इन दोनों के बीच पूरी तरह तालमेल बिठाए हुए हो. म्यूचुअल फंड्स से जुड़े जोखिमों को समझने और उनका प्रबंधन करने के लिए दो आवश्यक साधनों के बारे में जानते हैं -

रिस्कोमीटर और रिस्क प्रोफाइलर. इस लेख में समझाया जाएगा कि आप अपने रिस्क प्रोफाइल के साथ अपने निवेश का तालमेल बिठाने के लिए, इन दो साधनों का असरकारक इस्तेमाल कैसे करें.

रिस्कोमीटर 

रिस्क-ओ-मीटर, सेबी द्वारा अनिवार्य बनाया गया यह एक स्टैन्डर्डाइज्ड टूल है जिसमें जोखिम को वर्गों में बांटा जाता है - रिस्क क्लासिफिकेशन किया जाता है. म्यूचुअल फंड्स योजनाएं कितनी जोखिम भरी हैं यह जानने के लिए इसे बनाया गया है. रिस्कोमीटर में एक चित्र - ग्राफिक के माध्यम से निवेशकों को यह जानने में मदद मिलती है कि फलां-फलां म्यूचुअल फंड्स योजना का जोखिम स्तर कितना है. एक ग्राफिक द्वारा दर्शाया जाता है कि निवेश की जाने वाली राशि से जुड़ा जोखिम कितना है- कम से ले कर बहुत अधिक का रेंज इसमें दर्शाया गया है. 

रिस्कोमीटर में दर्शाये गए जोखिम स्तर इस प्रकार से हैं -

कम (लो) - अगर निवेशक 'कम जोखिम' (लो रिस्क) वाली श्रेणी में दर्शाये गए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करता है तो इसका मतलब यह हुआ कि उसका मूल धन (प्रिन्सिपल), कम जोखिम के अधीन है. इस श्रेणी में किया जाने वाला निवेश, ऐसे निवेशकों के लिए ठीक रहेगा जो बेहद कम जोखिम उठाना चाहते हों.

2. मध्यम कम (मोडरेटली लो) - 'कम से मध्यम' - (लो टू मोडरेट रिस्क) वाली श्रेणी में निवेश करने वाले निवेशक ऐसा मान कर चल सकते हैं कि उनके मूल धन पर, मार्किट जोखिम का असर बहुत ही कम हो सकता है. रूढ़िवादी -कंसर्वेटिव प्रकार के निवेशकों के लिए यह श्रेणी ठीक रहेगी.

3. मध्यम- (मोडरेट) - 'मध्यम जोखिम' (मोडरेट रिस्क) की श्रेणी वाले फंड्स, ऐसे निवेशकों के लिए उचित रहेंगे जो अपने मूल धन पर थोड़ा जोखिम उठाना चाहते हों और जिनका इरादा संपत्ति का सृजन - वेल्थ क्रिएट करना हो.

4. मध्यम उच्च- (मोडरेटली हाइ)- इस श्रेणी में आने वाली योजनाएं, आम तौर पर इक्विटी से संबंधित बाजार कारकों से प्रभावित होती हैं, यानी मूल धन पर इक्विटी से संबंधित जोखिमों का असर देखने मिल सकता है. ये योजनाएं आक्रामक निवेशकों के लिए ठीक रहेंगी जो मध्यम से लंबे अरसे तक निवेश करने की चाह रखते हों ( 3 + साल)

5. उच्च (हाइ) - 'उच्च जोखिम' ( हाइ रिस्क) योजनाएं ऐसे आक्रामक रूख वाले निवेशकों के लिए ठीक रहती हैं जो लंबे अरसे के लिए निवेश करना चाहते हैं (> 5 साल). इन योजनाओं में निवेश किया गया मूल धन, उच्च जोखिमों एवं बाजार के भारी उतार-चढ़ावों से प्रभावित हो सकता है.

6. अत्यंत उच्च (व्हेरी हाइ) - ये योजनाएं, मुख्य रूप से अत्यंत उच्च जोखिम प्रोफाइल वाली इक्विटी में निवेश करती हैं जो कि अन्य फंड्स की तुलना में काफी उतार-चढ़ाव वाले स्टाक्स होते हैं. ये योजनाएं, अत्यंत आक्रामक निवेशकों के लिए ठीक रहती हैं. इनमें निवेश किया गया मूल धन, म्यूचुअल फंड्स के सर्वाधिक जोखिमों के अधीन होता है और इनका उद्देश्य होता है- दीर्घ काल में संपत्ति का सृजन करना-लॉंग टर्म वेल्थ क्रिएशन. सेक्टोरल/ थीमेटिक/ इन्टरनैशनल/ मिडकैप/ स्मॉल फंड्स- इस श्रेणी में आने वाले फंड्स हैं.

इन श्रेणियों को ध्यान में रखते हुए, आप अपने मूल धन से कितना जोखिम जुड़ा है यह समझ सकते हैं.

रिस्क प्रोफाइलर 

दूसरी तरफ, रिस्क प्रोफाइलर एक ऐसा साधन है जो कि एक निवेशक की ज़रूरत, क्षमता, और जोखिम लेने की इच्छा- इन बातों को ध्यान में ले कर उसकी जोखिम क्षमता का आकलन करता है. यह साधन, कुछ कारकों जैसे कि निवेश का उद्देश्य, समय सीमा (टाइम होराइज़न), और वित्तीय परिस्थिति (फाइनेंसिअल सिचुएशन) के आधार पर, जोखिम के प्रति निवेशकों की सहिष्णुता का आकलन करता है . निवेशक, दिया जाने वाला रिस्क प्रोफाइल क्वेश्चनेयर (रिस्क प्रोफाइलर प्रश्नावलि) भर कर, स्पष्टतया जान सकता है कि अपनी जोखिम उठाने की इच्छा - रूढ़िवादी (कंसर्वेटिव) से ले कर आक्रामक (अग्रेसिव)- किस रेंज में है. खुद ही अपना मूल्यांकन कर पाने के कारण निवेशक सोचा, समझा निर्णय लेने की स्थिति में आ जाता है और जोखिम उठाने की क्षमता एवं अपना वित्तीय लक्ष्य- इन दोनों के बीच में संतुलन बना सकता है.

सही फंड का चुनाव करना

रिस्क प्रोफाइल के अनुसार चूंकि अब निवेशकों ने म्यूचुअल फंड्स के रिस्क-ओ-मीटर को जान लिया है तथा रिस्क प्रोफाइलर के माध्यम से अपना वैयक्तिक जोखिम उठा पाने की क्षमता की भी जांच-परख कर चुके हैं, अगला कदम है इन दोनों के बीच संतुलन लाना, तालमेल बिठाना.

अपनी जोखिम सहिष्णुता के अनुसार, निवेशक अपने लिए सही फंड का चुनाव इस प्रकार से कर सकते हैं. 

रिस्क प्रोफाइल मैच करना

निवेशकों को चाहिए कि वे, उन म्यूचुअल फंड्स का चुनाव करें जिनके रिस्क-ओ-मीटर रेटिंग्स, रिस्क प्रोफाइलर के द्वारा जानी गई जोखिम सहिष्णुता- (रिस्क टॉलरन्स) के साथ तालमेल बिठाने वाले हों. उदाहरण के लिए, कंसर्वेटिव निवेशक, लोअर रिस्क-ओ-मीटर वाले फंड्स चुन सकते हैं, जबकि आक्रामक निवेशकों, हायर रेटिंग्स वाले फंड्स चुन सकते हैं. ध्यान दें कि रिस्क-ओ-मीटर को प्रत्येक महीने अपडेट किया जाता है.

डायवर्सिफिकेशन (विविधता का चुनाव)

अपने धन को विभिन्न संपत्ति वर्गों में और विविध श्रेणी के वर्गों वाले फंड्स में निवेश करने से भी जोखिम को कम किया जा सकता है. निवेशकों अपने रिस्क प्रोफाइल के आधार पर कुछ इक्विटी, कुछ डेट और कुछ हायब्रिड फंड्स - इस तरह मिलेजुले फंड्स पसंद करके अपना धन निवेश कर सकते हैं और इस प्रकार से जोखिम पतला करते हुए रिटर्न्स को जितना संभव हो, अधिक कर सकते हैं.

समीक्षा और पुनर्रचना (रिव्यूइंग और रिबैलेंसिंग)

अपने पोर्टफोलियो की नियमित रूप से पुनर्र्चना करते रहने से सुनिश्चित होता है कि जितना जोखिम उठाने की क्षमता ध्यान में रख कर निवेश किया गया है उस जोखिम स्तर को बनाये रखा जाए, रिटर्न्स जितने संभव हों उतने अधिक पाये जाएं और जोखिमों को नियंत्रित करते हुए भी, बाज़ार के अवसरों से इष्टतम मौके पाए जाएं.

याद रखें, जोखिम निवेश का एक अंतरंग हिस्सा है, लेकिन, सोचा-समझा निर्णय लेना और रणनीति अपना कर के विविधता (डायवर्सिफिकेशन) का साथ लेना - इन दो बातों को अपनाने से दुष्प्रभाव कम करने में मदद मिल सकती है और इस तरह लंबे समय की वित्तीय सफलता की राह बनाई जा सकती है.

ऐक्सिस म्यूचुअल फंड द्वारा की गई यह पहल, निवेशकों को शिक्षित एवं जागरूक बनाने हेतु है. निवेशकों को एक बार किया जाने वाला केवाईसी प्रोसेस पूरा करना होता है.

अधिक जानकारी के लिए पर www.axismf.com जाएं या customerservice@axismf.com पर हम से संपर्क करें. निवेशकों को सिर्फ पंजीकृत म्यूचुअल फंड्स (Registered MFs ) के साथ ही व्यवहार करना चाहिए, इनकी जानकारी www.sebi.gov.in पर Intermediaries/ Market Infrastructure Institutions (इन्टरमीडिअरीज़ मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्स्टिट्यूशंस सेक्शन) में दी गई है.

किसी भी प्रकार की शिकायत के निवारण के लिए निवेशक हमसे 1800 221 322 पर फोन कर सकते हैं या customerservice@axismf.com पर हमें लिख भेज सकते हैं या सेबी के स्कोर्स पोर्टल http://scores.gov.in पर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

रिस्क प्रोफाइलर सिर्फ एक साधन- टूल है जो आपको अपने इन्पुट्स के आधार पर आपका खुद का जोखिम- रिस्क तय करने में मदद करता है. निवेश संबंधित अपने निर्णयों के लिए निवेशक खुद ही ज़िम्मेदार हैं और अपने वित्तीय सलाहकारों से निवेश संबंधित मशविरा कर सकते हैं.

वैधानिक ब्यौरा - ऐक्सिस म्यूचुअल फंड की स्थापना, द इन्डियन ट्रस्ट्स ऐक्ट, 1882 के तहत एक ट्रस्ट-न्यास के रूप में की गई है और यह ऐक्सिस बैंक लि.(ज़िम्मेदारी रू.1 लाख तक सीमित) के द्वारा प्रायोजित है. ट्रस्टीः ऐक्सिस म्यूचुअल फंड ट्रस्टी लि. निवेशक प्रबंधक (इन्वेस्टमेन्ट मैनेजर) : ऐक्सिस मैनेजमेंट कं. लि. (द एएमसी) जोखिम

कारक (रिस्क फैक्टर्स) : योजना के परिचालन के परिणाम स्वरूप किसी भी नुकसान या घाटे के लिए जवाबदेह या ज़िम्मेदार नहीं है. म्यूचुअल फंड में निवेश बाज़ार के जोखिमों के अधीन हैं, योजना संबंधित सारे दस्तावेजों को ध्यान से पढ़िए.

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