Smriti Irani Madina Visit: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के मदीना की पवित्र मस्जिद में दस्तक से सोशल मीडिया गुलजार है. मदीना मस्जिद में स्मृति ईरानी की एंट्री से जहां एक तबका खुश है तो कुछ लोग गमजदा भी हैं. गमजदा वे हैं जिन्हें धर्म के नाम पर लोगों को बांटने में मजा आता है. हम उन कट्टरपंथियों की बात कर रहे हैं जिन्होंने स्मृति की मदीना वाली तस्वीर देखते ही सुषमा स्वराज की ईरान दौरे वाली तस्वीर वायरल कर दी.
इन दोनों तस्वीरों में अंतर यह है कि स्मृति ईरानी ने मस्जिद में अपना सिर नहीं ढका है. और सुषमा स्वराज ईरान के नेताओं से बात करते वक्त अपने सिर को ढक रखा है.
कट्टरपंथियों का कहना है कि स्मृति ईरानी को मस्जिद में जाने नहीं देना चाहिए था और सिर ढके बिना तो बिल्कुल भी नहीं.
दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की तस्वीर का हवाला देकर कट्टरपंथी धर्म की बहस को हवा देने की कोशिश में लगे हुए हैं.
शायद इन कट्टरपंथियों को ये अहसास नहीं हो रहा कि स्मृति ईरानी मदीना की पवित्र मस्जिद में यूएई के दिग्गज नेताओं के साथ मौजूद थीं और उन्होंने इसपर कोई आपत्ति नहीं जताई.
ईरान के कट्टरपंथियों को यह समझना होगा कि धर्म के नाम पर ये विवाद उनके लिए ही घातक है. क्योंकि ईरान पहले से ही दुनिया से अलग-थलग पड़ा हुआ है. कट्टरपंथी विचारधारा ही अपनाए रहा तो बिल्कुल अकेला पड़ जाएगा.
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