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रूस-यूक्रेन युद्ध के 2 साल पूरे, इस जंग ने कैसे बदल दी दुनिया की सोच; 5 पॉइंट में समझें सबकुछ

Russia-Ukraine War Two Years: रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए भीषण युद्ध को दो साल पूरे हो चुके हैं. दो साल से यूक्रेन की धरती पर रूस के बम लगातार धमाके कर रहे हैं. फाइटर जेट से लेकर टैंक यूक्रेन के शहरों को तबाह कर रहे हैं. उधर, पश्चिमी देश इस दौरान समय-समय पर रूस पर प्रतिबंधों की बमबारी करते रहे हैं. वहीं, रूस ने यूक्रेन से जंग (Russia Ukraine War) की बरसी पर जमकर आतिशबाजी की. सेना दिवस समारोह में मॉस्को का आसमान रात में आतिशबाजी से जगमगा उठा. इस मौके पर रूस में सरकारी छुट्टी रखी गई. इसे सशस्त्र बलों के सेवा करने वालों और सैन्य दिग्गजों का सम्मान का दिन माना गया. पर इन दो सालों में क्या-क्या बदला और युद्ध के बारे में पूरी दुनिया की सोच कैसे बदल गई, आइए जानते हैं.

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रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया को पता चला कि बहुत बड़ी सेना, फाइटर जेट और टैंक्स ही काफी नहीं हैं. आज के समय में युद्ध में सबसे खतरनाक ड्रोन हैं. जो दुश्मन की सीमा घुसकर हमला कर सकते हैं. ड्रोन इतने खतरनाक हैं कि वह सीमा पार किसी भी बिल्डिंग या शख्स को निशाना बना सकते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में हमें ये कई बार देखने को मिला. जो यूक्रेन कमजोर समझा जा रहा था उसने ड्रोन हमले करके रूस की नाक में दम कर दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्लोबल ड्रोन मार्केट 2030 तक 260 बिलियन डॉलर यानी 21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. दुनिया को समझ आ गया है कि ड्रोन की ताकत को बढ़ाना बहुत जरूरी है.

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया एक बार फिर वेस्ट और रेस्ट में बदलने लगी है. हां, ऐसा सच में हुआ है. क्योंकि स्वीडन और फिनलैंड जैसे देश जो नाटो में शामिल होने से बच रहे थे, उन्होंने भी नाटो में शामिल होने की इच्छा जताई है. 3 दशक पहले यूएसएसआर के टूटने के बाद दुनिया मल्टी पोलर वर्ल्ड की तरफ बढ़ने लगी थी. कई देश वेस्ट और रेस्ट में से एक खेमा नहीं चुनना चाहते थे. वो एक पक्ष में नहीं रहना चाहते हैं. लेकिन अब यूक्रेन भी यूरोपियन यूनियन और नाटो में शामिल होने की अर्जी दे चुका है.

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रूस-यूक्रेन युद्ध ने साबित कर दिया है कि जो देश ये कहकर प्रतिबंधों को नकार देते हैं कि हम इनकी फिक्र नहीं करते, उनकी सोच बदली है. जान लें कि रूस पर पश्चिमी देशों ने तमाम प्रतिबंध लगाए हैं. जिसकी वजह से रूस को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. रूस के एक्सपोर्ट की लागत बढ़ गई है. इसके अलावा इम्पोर्ट करने में भी रूस को मुश्किलें हो रही हैं. बिजनेस में नुकसान हो रहा है. पिछले दो साल से ऐसी स्थिति बने होने के कारण आर्थिक रूप से रूस दिक्कत में है.

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रूस-यूक्रेन जंग से दुनिया ने एक और सीखी है कि टेक्नोलॉजी के मामले में आत्मनिर्भर बने रहना बहुत जरूरी है. क्योंकि रूस टेक्नोलॉजी के मामले आत्मनिर्भर है और जब युद्ध में और हथियारों की जरूरत पड़ी तो उसने प्रोडक्शन बढ़ा दिया. लेकिन यूक्रेन के साथ ऐसा नहीं था. यूक्रेन को हथियारों के लिए दूसरे देशों के सामने हाथ फैलाने पड़े. कई बार उसे मौके पर हथियार और सपोर्ट नहीं मिला और उसे अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ा.

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रूस-यूक्रेन के युद्ध से एक और चीज साफ हुई कि अमेरिका इतनी जल्दी अपने सैनिकों दूसरे देश युद्ध झोंकने वाला नहीं है. यूक्रेन को भी पूरा भरोसा था कि अगर रूस ने हमला किया तो अमेरिका की सेना आ जाएगी और रूस से बचा लेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यूक्रेन को लोगों को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ी. अभी भी वो रूस से जूझ रहे हैं. हालांकि, यूक्रेन ने कमजोर होने के बावजूद अबतक हार नहीं मानी है.

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