भारत अपनी अथाह और अदभुत युवा प्रतिभाओं के लिए भी जाना जाता है. ऐसी ही एक मोटिवेशनल स्टोरी है हैदराबाद की नैना जायसवाल की है. नैना ने देश की सबसे कम उम्र की महिला पीएचडी धारक बनने का कमाल कर दिखाया है. वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक प्रसिद्ध टेबल टेनिस चैंपियन भी हैं.
नैना बचपन से ही बहुत तेज दिमाग की थीं. जब ज्यादातर बच्चे प्राइमरी एजुकेशन पूरी कर रहे होते हैं, तब मात्र 8 साल की उम्र में ही उन्होंने 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा पास कर ली थी. 10 साल की उम्र तक आते आते उन्होंने स्कूली पढ़ाई पूरी कर ली थी.
उसके बाद, उन्होंने मास कम्युनिकेशन और पत्रकारिता में ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मात्र 13 साल की उम्र में ही ग्रेजुएशन कर ली. सीखने के जुनून से लबरेज, वो 15 साल की उम्र में एशिया की सबसे कम उम्र की पोस्ट-ग्रैजुएट बन गईं. उन्होंने हैदराबाद के प्रतिष्ठित उस्मानिया विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री भी हासिल की.
नैना ने वकालत की डिग्री भी हासिल कर ली. इसके बाद, 17 साल की उम्र में ही उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई शुरू कर दी और 22 साल की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की डॉक्टरेट हासिल करने वाली बनकर इतिहास रच दिया.
उनका शोध-पत्र महिला सशक्तिकरण में फाइनेंस के रोल पर आधारित था, जो समाज में असमानता को दूर करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के उनके दृढ़ संकल्प को दिखाता है.
पढ़ाई के अलावा, नैना टेबल टेनिस की एक इंटरनेशनल प्लेयर भी हैं, जिन्होंने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई पुरस्कार जीते हैं. उनके माता-पिता ने होमस्कूलिंग का तरीका चुना, जिससे उनकी पढ़ाई और खेल के जुनून के बीच संतुलन बना रहे.
इस तरह, नैना की पढ़ाई और खेल दोनों में शानदार उपलब्धियां देश के उन युवाओं के लिए प्रेरणा का काम करती हैं, जो अपने सपनों को पूरा करने में हिचकिचाते हैं.
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