Indian Railway slowest train:देश की सबसे धीमी या यूं करें सुस्त रफ्तार ट्रेन 46 किलोमीटर की दूरी तय करने में 5 घंटे का समय ले लेती है. जिस दूरी को वंदे भारत पलक झपकते तय कर लेती है, उसे तय करने में इस ट्रेन को 5 घंटे का समय लग जाता है. लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इतनी सुस्त ट्रेन में भी सफर के लिए टिकटों की मारामारी लगी रहती है. लोग सफर का मजा उठाते हैं.
Indian Railway slowest train: भारत में बुलेट ट्रेन चलाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. माना जा रहा है कि साल 2026 से बुलेट ट्रेन पटरी पर दौड़ने लगेगी. एक तरफ ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने पर काम हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर एक ऐसी भी ट्रेन हैं, जो इतने धीरे चलती है कि आप उससे पहले पैदल मंजिल तक पहुंच सकते हैं. देश की सबसे धीमी या यूं करें सुस्त रफ्तार ट्रेन 46 किलोमीटर की दूरी तय करने में 5 घंटे का समय ले लेती है. जिस दूरी को वंदे भारत पलक झपकते तय कर लेती है, उसे तय करने में इस ट्रेन को 5 घंटे का समय लग जाता है. लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इतनी सुस्त ट्रेन में भी सफर के लिए टिकटों की मारामारी लगी रहती है. लोग सफर का मजा उठाते हैं. इस ट्रेन में सफर करने के लिए लोग लंबे वक्त तक इंतजार करते हैं. ये ट्रेन प्रकृति की खूबसूरती को दिखाते हुए सफर के मजे को दोगुना कर देती है. भारत का सबसे लंबा रेल सफर, एक बार बैठ गए तो 4 दिनों तक ट्रेन में ही कटेगी जिंदगी! फिर भी रिजर्वेशन फुल
देश की सबसे सुस्त ट्रेन में लोग खुशी-खुशी बैठते हैं और सफर का मजा भी लेते हैं. इस ट्रेन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. खूबसूरत रास्तों, पहाड़ियों, जंगल के बीच से गुजरती ट्रेन यात्रियों को असली नेचर की खुबसूरती से रुबरू करवाती है. इस ट्रेन में चढ़ने वालों को मंजिल से ज्यादा रास्तों में दिलचस्पी रहती है. प्रकृतिक के बीच गुजरती ट्रेन लोगों के सफर को सुहाना बना देती है.
तमिलनाडु के मेट्टुपालयम स्टेशन से ऊटी के उदगमंडल स्टेशन तक जाने वाली नीलगिरी माउंटेन एक्सप्रेस देश की सबसे धीमी रफ्तार से चलने वाली ट्रेन हैं. यह ट्रेन केलर, कुन्नूर, वेलिंगटन, लवडेल और ऊटाकामुंड स्टेशनों जैसे खुबसूरत जगहों से गुजरते हुए मंजिल की ओर बढ़ती है. ट्रेन की सवारी मेट्टुपालयम से शुरू होती है. शुरुआती 5 किमी तक ट्रेन सीधे रास्ते चलती है, लेकिन इसके बाद अगले 12 किमी में ट्रेन तेजी से 4,363 फीट की ऊंचाई तक चढ़ती जाती है. अंधेरी और घुमावदार सुरंगों, जंगलों, पहाड़ी ढलानों गुजरते हुए ये सफर को रोमांचक बना देती है. जैसे-डैसे आर सफर में आगे बढ़ेंगे धुंध और कोहरे के साथ ट्रेन का सफर रोमांच बढ़ता चला जाएगा.
नीलगिरि माउंटेन रेलवे का निर्माण और शुरुआत अंग्रेजों ने करवाया था. साल 1899 में नीलगिरि एक्सप्रेस ने अपने सफर की शुरुआत की. स्टीम इंजन और ट्रेन की परंपरागत सीटी की आवाज आपको बचपन की याद दिला देंगे. साल 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया.
नीलगिरि माउंटेन रेल के ट्रैक इंजीनियरिंग का चमत्कार है. पहाड़ों के बीच रेल लाइन बिछाना आसान नहीं है. नीले और क्रीम रंग के लकड़ी के बने डिब्बे, बड़ी-बड़ी खिड़कियों वाली ट्रेन अपने 46 किमी के सफर में 16 सुरंगों, 250 से ज्यादा पुलों को पार करती है.
नीलगिरी माउंटेन ट्रेन में सफर के लिए आपको मोटी रकम खर्च करने की भी जरूरत नहीं है. फर्स्ट क्लास सफर के लिए आपको 545 रुपये का टिकट और सेकंड क्लास के लिए 270 रुपये का टिकट लेना होगा. सस्ते किराए के चलते लोग आसानी से इस ट्रेन में सफर कर पाते हैं.
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