मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आदेश देते हैं हिंदू मंदिर में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर बैन लगाने की बात कही है. कोर्ट ने कहा कि मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं है जो कोई भी घूमने चला जाए. बता दें कि सेंथिलकुमार ने ये मांग की थी कि अरुलमिगु पलानी धनदायुथापानी स्वामी मंदिर और अन्य मंदिरों में हिंदुओं को जाने की ही अनुमति दी जाए.
जगन्नाथ पुरी में हर साल लाख-करोड़ो लोग दर्शन को पहुंचते हैं. मद्रास हाई कोर्ट के फैसले की तरह इस मंदिर में भी गैर हिंदुओं के प्रवेश पर बैन लगा हुआ है. यहां पर सिर्फ आस्थावान हिंदुओं को ही प्रवेश मिलता है. इतना ही नहीं, इस मंदिर में विदेशी पर्यटकों की एंट्री पर भी बैन लगा हुआ है. कहा जाता है कि मुस्लिम शासकों के हमलों के बाद इस मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई.
चेन्नई के मलयापुर में स्थित कपालेश्वर मंदिर में भी गैर हिंदुओं की एंट्री पर रोक है. ये 17 वीं शताब्दी का ऐतिहासिक मंदिर है. द्रविड़ सभ्यता के इस शिव मंदिर में सिर्फ हिंदू ही दर्शन को जा सकते हैं. इतना ही नहीं, इस मंदिर में भी विदेशी पर्यटकों का प्रवेश पूरी तरह से बैन है.
गुरुवायुर मंदिर केरल के त्रिशूर में स्थित है. इसका इतिहास पांच हजार साल पुराना बताया जाता है. बता दें कि इस मंदिर में ईष्टदेव हैं, जिन्हें श्री कृष्ण का बाल रूप कहा जाता है. वहीं, ऐसा भी कहते हैं कि इसमें श्री कृष्ण और भगवान विष्णु वास करते हैं. ऐसे में यहां पर गैर हिंदू और विदेशी पर्यटकों की एंट्री बंद है.
राजस्थान के माउंट आबू में दिलवाड़ा मंदिर जैन धर्म को समर्पित है. इसे जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक माना गया है. 11वीं और 13 वीं शताब्दी के मध्य बने इस मंदिर में फोटोग्राफी वर्जित है. साथ ही, इस मंदिर में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर बैन भी है.
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर दुनियाभर में खूब प्रचलित है. यहां पर गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगी हुई है. हालांकि, विदेशा गैर-हिंदुओं की यहां पर एंट्री मिल जाती है. लेकिन यहां उत्तरी दिशा में बना कुपोर कुआं काफी पवित्र है. ऐसे में इसके आस-पास गैर हिंदुओं को जाने की अनुमति नहीं दी हई है.
ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर देशभर में काफी फेमस है. इस मंदिर में सिर्फ हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं. पहले इस मंदिर में विदेशियों को आने की इजाजत थी, लेकिन साल 2012 में एक विदेश पर्यटक के कर्म-कांड में बाधा पहुंचाने के बाद यहां पर गैर-हिंदुओं की एंट्री पर मंदिर परिसर ने रोक लगा दी.
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