जम्मू और कश्मीर में बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भारतीय इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल है. हाल ही में जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने इस रेल ब्रिज से होकर पहली बार ट्रेन गुजरी. 8 कोच की यह मेमू ट्रेन संगलदान रेलवे स्टेशन से रियासी के बीच 46 किलोमीटर लंबे रूट पर 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ी.
भारत में बने दुनिया के इस सबसे ऊंचे आइकॉनिक रेल ब्रिज का निर्माण कई मुश्किलों को पार करने के बाद संभव हो पाया है. यहां भौगोलिक परिस्थितियां और तेजी से होता मौसम परिवर्तन भारतीय इंजीनियर्स के सामने बड़ी चुनौतियां बनकर खड़े थे.
यहां से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकती है. पुल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि 266 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलने वाली हवाओं का भी सामना कर सकता है.
चिनाब पुल भयंकर भूकंपों को भी झेल सकता है. इसे 'विस्फोट-रोधी' बनाया गया है, जिससे संभावित आपदाओं के बावजूद भी इसकी संरचनात्मक अखंडता सुनिश्चित होती है.
अब जल्द ही इस पुल से सीआरएस इंस्पेक्शन के बाद पैसेंजर ट्रेनों का चलना शुरू करा दिया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों को देखते हुए इस रेल ब्रिज की सिक्योरिटी भी भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती होगी.
इस ब्रिज का डिजाइन और निर्माण भारतीय इंजीनियरिंग कौशल का प्रदर्शन है. चिनाब नदी पर बना यह पुल नदी तल से 359 मीटर ऊंचा (1,178 फीट) और 1315 मीटर लंबा है. पेरिस के विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा यह ब्रिज भारतीय आधुनिक इंजीनियरिंग की जीती जागती मिसाल है.
इस ब्रिज के निर्माण से अब कश्मीर घाटी की जम्मू और देश के बाकी हिस्सों से रेल कनेक्टिविटी बन जाएगी. यह ब्रिज करीब 20 साल में बनकर तैयार हुआ है. यह 272 किलोमीटर लंबी उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना (USBRL) के तहत पूरा हुआ है, जो आजादी के बाद रेलवे के सबसे चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट में से एक है.
इस प्रोजेक्ट के तहत 38 टनल्स और 927 पुलों का निर्माण किया गया है, जिसमें टी-49 देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट टनल भी शामिल है. इतना ही नहीं चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज इस प्रोजेक्ट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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