India Budget 2024: प्रधानमंत्री मोदी का तीसरा कार्यकाल है और उनके राज में 14वीं बार बजट पेश किया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुद सातवीं बार बजट पेश करने जा रही हैं. लेकिन जब से पीएम मोदी ने साल 2014 से देश की कमान संभाली है, तब से लेकर अब तक उनके राज में कई परंपराओं को बदला गया है.
हम जिन परंपराओं की बात कर रहे हैं वो सभी आम बजट (Union Budget) से जुड़ी हैं. इस बार के बजट से वित्त मंत्री से मिडिल क्लास को काफी उम्मीदें हैं. आइए बात करते हैं बजट से जुड़ी परंपराओं के बारे में-
अंग्रेजों के जमाने से बजट हर साल 28 फरवरी को पेश किया जाता था. लेकिन अब यह 1 फरवरी को पेश किया जाता है. हालांकि इस बार चुनावी साल होने के कारण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था. अब 23 जुलाई को वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश करेंगी.
पीएम मोदी के कार्यकाल में 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया तो यह 1 फरवरी को पेश किया गया. इस बदलाव की वजह यह थी कि बजट से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरा कर लिया जाए.
पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे. लेकिन 2016 में 1924 से चली आ रही यह परंपरा बदल गई. पहले इसे संसद में आम बजट से पहले रखा जाता था. लेकिन 2016 से रेल बजट भी यूनियन बजट का ही हिस्सा होता है.
आजाद भारत में 1947 में पहली बार वित्त मंत्री आर सी के एस चेट्टी ने बजट पेश किया तो वह दस्तावेजों को चमड़े से बने ब्रीफकेस में लेकर संसद पहुंचे थे. लेकिन 5 जुलाई 2019 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लाल कपड़े के एक बस्ते (बही खाते) में बजट के कागजात लेकर पहुंचीं. कोरोना महामारी के चलते वह 2021 में टैबलेट लेकर पहुंची थी, यह डिजिटल बजट था.
मोदी सरकार ने 2015 में योजना आयोग को खत्म करके नीति आयोग का गठन किया. इसके साथ ही देश में बनने वाली पंच वर्षीय योजनाएं भी खत्म हो गईं. ये योजनाएं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय से चली आ रही थीं. लेकिन 2017 में इनका समापन हो गया.
कोविड महामारी के कारण साल 2022 के दौरान बजट की छपाई शुरू होने से पहले होने वाली हलुवा सेरेमनी की रस्म नहीं हुई. मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि हलुवा सेरेमनी के बजाय कोर स्टॉफ को उनके कार्यस्थलों पर 'लॉक-इन' से गुजरने के कारण मिठाई दी गई.
ट्रेन्डिंग फोटोज़