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जिस चीज के दम पर दुनिया को धमकाता था 'ड्रैगन', वो कबाड़ा हो गई, चीन की चौधराहट खत्म हो गई

China’s newest nuclear submarine sank: समंदर में चीन का मोये मोये हो गया है. दरअसल जिस न्यूक्लियर सबमरीन यानी परमाणु पनडुब्बी के दम पर चीनी आका शी जिनपिंग, दक्षिण चीन सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी को अपनी बपौती मानकर चल रहे थे, उनकी गलतीफहमी दूर हो गई है. हालांकि रस्सी तो जल गई है, लेकिन उसका बल नहीं गया है. 'ड्रैगन' की इस शर्मिंदगी का सबब बीजिंग के रक्षा वैज्ञानिकों की वो टीम है, जिसने स्वयंभू सर्वशक्तिमान जिनपिंग का सिर शर्म से झुका दिया है. चीनी टेक्नाजली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे है. क्या है पूरा मामला आइए बताते हैं.

 

(सांकेतिक तस्वीरें)

शी जिनपिंग को लगा सदमा, क्या टूट गया सपना?

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शी जिनपिंग को लगा सदमा, क्या टूट गया सपना?

क्या आपने सोचा है कि बात-बात पर छोटे-छोटे समुद्री पड़ोसी देशों जैसे ताईवान, फिलीपींस, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार को उंगलियों में नचाने वाला और भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के QUAD जैसे शक्तिशाली संगठन को गीदड़भभकी देने वाला 'ड्रैगन' करीब चार महीनों से खामोश क्यों है? बीजिंग में बैठे कथित स्वयंभू सर्वशक्तिमान नेता शी जिनपिंग और चीनी फौज PLA के कमांडरों के मुंह लटके हैं. लोगों के चेहरों से मुस्कान गायब है. इसकी वजह वो खुलासा है जो सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है. अमेरिकी जर्नल और साइंस लैब चीन को लगे सदमे की पुष्टि कर रहे हैं. क्या है इसकी वजह आइये बताते हैं.   

चीन की ये पनडुब्बी 'कबाड़ा' हो गई

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चीन की ये पनडुब्बी 'कबाड़ा' हो गई

समंदर में चीन की नौसेना की वाट लग गई है. चीनी रक्षा वैज्ञानिकों की बनाई जिस लेटेस्ट परमाणु पनडुब्बी को शी जिनपिंग धरती के नक्शे पर मौजूद हर सागर और महासागर पर राज करने वाली गेमचेंजर मशीन बता रहे थे, वो न्यूक्लियर सबमरीज करीब चार महीने पहले समंदर में डूब गई थी. इसी वजह से फिलहाल चीन के तेवर ढीले हैं. रस्सी जल गई लेकिन उसका बल नहीं गया है. 

 

 

समंदर पर क्या खाक राज करेगा चीन?

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समंदर पर क्या खाक राज करेगा चीन?

समंदर में चीन का मोये मोये कराने वाली चीनी पनडुब्बी के डूबने से अमेरिका और पश्चिमी देश यानी पूरा यूरोप गदगद है. उनके चेहरे खिले होने की वजह भी है. दरअसल जिस चीज पर दुश्मन 'ड्रैगन' इठला रहा था उसके कबाड़ में तब्दील होने की खबर किसी खुशखबरी से कम नहीं थी. लिहाजा लोगों ने उस खबर को हाथो हाथ लिया. जिसके बार में चीन ने चुप्पी साध रखी थी. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि चीन की नवीनतम परमाणु-संचालित अटैकिंग सबमरीन पिछली वसंत ऋतु में पानी में डूब गई थी.

 

चीन ने साधी चुप्पी

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चीन ने साधी चुप्पी

चीन को यह झटका तब लगा है जब वो अपनी नौसेना का विस्तार करने पर जोर दे रहा है, जिसमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का बेड़ा भी शामिल है. अपनी इस नाकामी को चीन ने दुनिया से छिपाने की कोशिश की और इस खबर को बाहर नहीं आने दिया. बताया जा रहा है कि चीनी पनडुब्बी मई के अंत या जून की शुरुआत में वुहान के पास एक शिपयार्ड में लाई गई थी.

 

परमाणु ईधन था या नहीं?

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परमाणु ईधन था या नहीं?

सैटेलाइट तस्वीरों के सामने आने के बाद जब दुनिया ने चीन का पक्ष जानना चाहा तो उसके अफसरों ने गोलमोल जवाब दिया. हालांकि तस्वीरे मिलने के दौरान अमेरिका को नहीं पता था कि जिस समय पनडुब्बी डूबी उस समय उसमें परमाणु ईंधन था या नहीं? लेकिन अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि उस पनडुब्बी में न्यूक्लियर फ्यूल था.

 

पेंटागन की हालात पर नजर

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पेंटागन की हालात पर नजर

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन, चीन को अपने प्रमुख विरोधी के तौर पर देखता है. अमेरिकी अधिकारियों का इस एपिसोड पर कहना है कि बीजिंग, ताइवान पर दबाव डालने की कोशिश करने के लिए राजनीतिक और सैन्य दबाव का उपयोग कर रहा है, जो एक अलग शासित आइलैंड कंट्री है, जिस पर बीजिंग अपना होने का दावा करता है. 

इस तस्वीर ने चीन की पोल खोल दी

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इस तस्वीर ने चीन की पोल खोल दी

अब चीनी अफसर खिसियासी बिल्ली बनकर खंभा नोच रहे हैं. अमेरिकी आरोपों से इतर चीन का कहना है कि विश्व स्तरीय नौसेना बनाने का उसका मकसद दूसरे देशों की आक्रामकता को रोकना और अपने विदेशी हितों की रक्षा करना है. चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया.