China US Relations: तीन सबसे बड़ी अमेरिकी एयरलाइंस - अमेरिकन एयरलाइंस, डेल्टा एयरलाइंस और यूनाइटेड एयरलाइंस - ने आने वाले महीनों में चीन के लिए अपनी उड़ानों को दोगुना से अधिक करने की योजना बनाई है.
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China US Passenger Flights: बाइडेन प्रशासन ने पिछले हफ्ते, घोषणा की थी कि वाशिंगटन और बीजिंग दोनों देशों के बीच उड़ान भरने की अनुमति वाली पैसेंजर फ्लाइट्स की संख्या दोगुनी कर देंगे. संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच यात्री उड़ानों में वृद्धि से पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही है लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस कदम से शैक्षणिक और व्यावसायिक दुनिया में दो प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच दरार कम होने की संभावना नहीं है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू ने कहा कि यात्री उड़ानों में वृद्धि संभवतः दबाव के कारण हुई है. उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों पर दबाव बढ़ रहा है, जिसमें अमेरिका में रहने वाले चीनी नागरिक भी शामिल हैं, जो यात्रा के मामले में अधिक लचीलापन चाहते हैं.
बता दें अमेरिका द्वारा उड़ानों की संख्या बढ़ाने का ऐलान ऐसे समय में किया गया है जब चीन ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के ग्रुप टूर पर कोविड-युग के प्रतिबंधों को हटा दिया है. अमेरिका के लिए उड़ान की अनुमति वाली साप्ताहिक चीनी पैसेंजर फ्लाइट्स की संख्या 1 सितंबर से मौजूदा 12 से बढ़कर 18 हो जाएगी. अक्टूबर के अंत में यह संख्या बढ़कर 24 हो जाएगी.
ब्लूमबर्ग ने बताया कि तीन सबसे बड़ी अमेरिकी एयरलाइंस - अमेरिकन एयरलाइंस, डेल्टा एयरलाइंस और यूनाइटेड एयरलाइंस - ने आने वाले महीनों में चीन के लिए अपनी उड़ानों को दोगुना से अधिक करने की योजना बनाई है.
'इसका मतलब यह नहीं है कि'
उड़ान संख्या बढ़ाने को दो प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच सहयोग के एक दुर्लभ संकेत के रूप में देखा गया था हालंकि वू का कहना है कि इसका मतलब यह नहीं है कि अमेरिका-चीन संबंधों में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्ष अभी भी संबंधों को संभालने की कोशिश कर रहे हैं. हम [इस नीति के] प्रभाव को कम नहीं आंक सकते.’
वू ने कहा कि अधिक संख्या में उड़ानें उन लोगों के लिए मददगार साबित होंगी जो चीन में अपने दोस्तों और परिवारों से मिलना चाहते हैं, लेकिन इसका व्यापार, राजनयिक और शैक्षणिक दुनिया पर गहरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.उन्होंने कहा, ‘मुझे बहुत अधिक उम्मीद नहीं है कि राजनयिक स्तर पर या शिक्षाविदों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले आदान-प्रदान होंगे. यह हिस्सा अभी भी बहुत कठिन है.’
‘दोनों तरफ एक दूसरे के लिए नकारात्मक विचार’
वू ने कहा कि अमेरिका में कुछ शैक्षणिक और व्यावसायिक हलकों में चीन के प्रति नकारात्मक विचार बढ़ रहे हैं और यही बात चीन के लोगों और अमेरिका के प्रति उनके दृष्टिकोण के लिए भी सच है.
वू ने कहा, ‘घरेलू स्तर पर, एक-दूसरे के प्रति भावनाएं अभी भी अच्छी नहीं हैं. लोग चिंतित हैं कि चीन में उनकी बैठकों को कुछ संदिग्ध के रूप में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा, हाल के सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि अमेरिकियों के पास चीन के बारे में बहुत प्रतिकूल विचार हैं.
‘बीजिंग ने तेज किया प्रोपेगेंडा’
वू ने कहा कि बीजिंग ने अपने हितों को खतरे में डालते हुए वाशिंगटन के बारे में अपना ‘प्रोपेगेंडा’ तेज कर दिए हैं, जिससे घरेलू स्तर पर मजबूत राष्ट्रवादी भावनाएं भड़क रही हैं. उन्होंने कहा कि चीनी सरकार जासूसी जांच की लहर में विदेशी परामर्श फर्मों को भी निशाना बनाती दिख रही है, जिससे चीन की यात्रा करने के इच्छुक अमेरिकी निवेशकों में विश्वास नहीं आएगा.
‘लोगों के बीच आदान-प्रदान का पड़ेगा प्रभाव’
बीजिंग में रेनमिन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर वांग यीवेई का मानना हैकि बढ़ी हुई यात्री उड़ानें दो विश्व शक्तियों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं लेकिन इसके बीच में कुछ बाधाएं भी खड़ी हो सकती हैं.
यीवई ने कहा अगले साल अमेरिकी चुनाव नजदीक आने पर राजनीतिक माहौल ‘बेहद खराब’ होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी आदान-प्रदान पर प्रतिबंधों की सूची भी बढ़ी है.
यीवई ने कहा, ‘लोगों के बीच आदान-प्रदान को अमेरिका-चीन संबंधों का बैरोमीटर माना जा सकता है. हालांकि [चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा] बार-बार इस बात पर जोर दिया गया है कि अमेरिका-चीन की दोस्ती लोगों में निहित है और युवाओं में निहित है, लोगों के बीच आदान-प्रदान राजनीति से बहुत प्रभावित होता है.’