धीरे-धीरे 'कंगाल' हो रहा पाकिस्तान! 6 साल में पहली बार अर्थव्यवस्था के ऐसे हैं हालात
Advertisement
trendingNow1452501

धीरे-धीरे 'कंगाल' हो रहा पाकिस्तान! 6 साल में पहली बार अर्थव्यवस्था के ऐसे हैं हालात

पाकिस्तान संकट में है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा कर गिर सकती है. पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पिछले छह साल में पहली बार सुस्त पड़ी है.

अगर आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पड़ती है तो पाकिस्तान कई साल पीछे जा सकता है.

इस्लामाबाद: पाकिस्तान संकट में है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा कर गिर सकती है. पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पिछले छह साल में पहली बार सुस्त पड़ी है. इस वित्त वर्ष में इसकी वृद्धि 5.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. वहीं, साल की शुरुआत में इसके 6.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था. अगर आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पड़ती है तो पाकिस्तान कई साल पीछे जा सकता है. सरकार ने अर्थव्यवस्था ने कहा है कि राजकोषीय दबाव और कृषि एवं निर्माण क्षेत्र में मंदी के कारण वृद्धि पर असर दिखता है. इससे पहले आईएमएफ ने भी आर्थिक वृद्धि अनुमान को घटाकर 4.7 फीसदी किया था.

पिछले साल बेहतर थे हालात
पिछले वित्त वर्ष में पाकिस्तान की वृद्धि दर 5.8 फीसदी थी. यह पिछले 13 साल का सबसे अच्छा आंकड़ा है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक, सरकार ने सभी वृहद आर्थिक लक्ष्य कम कर दिए हैं. पाक सरकार का अनुमान है कि आर्थिक वृद्धि दर इस साल 5.2 फीसदी के आसपास रहेगी. दरअसल, पाकिस्तानी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना मूल्य खो रही है. पाकिस्तानी रुपया की कीमत डॉलर के मुकाबले 120 रुपया पहुंच चुकी है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खाली हो रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक, पाकिस्तान के पास अब सिर्फ 10.3 अरब डॉलर यानी 69,504 करोड़ रुपए का ही विदेशी मुद्रा भंडार है. पिछले साल मई में यह 16.4 अरब डॉलर यानी 1,10,667 करोड़ रुपए था.

सिर्फ 10 हफ्ते तक का भंडार
पाकिस्तान के पास जितनी विदेशी मुद्रा है, वो ज्यादा से ज्यादा 10 हफ्तों तक के आयात के बराबर है. विदेशों में नौकरी कर रहे पाकिस्तानी देश में जो पैसे भेजते थे, उसमें भी गिरावट आई है. इसके साथ ही पाकिस्तान का आयात बढ़ा है. चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर में लगी कंपनियों को भारी भुगतान के कारण भी विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहा है.

वर्ल्ड बैंक ने जारी की थी चेतावनी
विश्व बैंक ने अक्टूबर 2017 में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि उसे कर्ज भुगतान और चूला खाता घाटे को पाटने के लिए इस साल 17 अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी. हालांकि, पाकिस्तान ने इस पर तर्क दिया था कि विदेशों में बसे अमीर पाकिस्तानियों को अगर अच्छे लाभ का लालच दिया जाए तो वो अपने देश की मदद कर सकते हैं. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के एक अधिकारी ने कहा था कि अगर प्रवासी पाकिस्तानी ऑफर दिया जाएगा तो देश में पैसा जरूर आएगा.

संकट में पाकिस्तान
अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद में अमेरिका ने भारी कटौती की है. रॉयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ अमरीका के रिश्ते पूरी तरह से पटरी से उतर गए हैं. पाकिस्तान को प्रवासियों से एक अरब डॉलर की जरूरत है. चीन का पकिस्तान पर कर्ज लगातार बढ़ रहा है. इस वित्तीय वर्ष तक चीन से पांच अरब डॉलर का कर्ज लिया जा चुका है. 

fallback

कर्ज का बोझ 28 हजार अरब रुपये
पाकिस्‍तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने सत्‍ता संभालने के बाद मितव्ययिता कदमों, कर्ज लेने की जगह कर सुधारों पर काम करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था, ‘‘पाकिस्तान के इतिहास में हमने इस तरह की मुश्किल परिस्थितियों का सामना कभी नहीं किया. हमारा कर्ज का बोझ 28 हजार अरब रुपये है. अपने समूचे इतिहास में हम इतने ऋणग्रस्त कभी नहीं रहे, जितना पिछले 10 वर्षों में हो गए हैं.’’

अमेरिका और करेगा कटौती
पाकिस्तान और अमरीका के खराब हुए संबंधों के कारण चीन की अहमियत बढ़ गई है. मतलब पाकिस्तान की निर्भरता चीन पर लगातार बढ़ रही है. अमेरिका अगले साल तक पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में और कटौती करेगा. आईएमएफ के मुताबिक, पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से 2018 के बीच पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 50 फीसदी बढ़ा है. 2013 में पाकिस्तान को आईएमएफ ने 6.7 अरब डॉलर का पैकेज दिया था.

चीन की मदद काफी नहीं
आईएमएफ ने भी हाल ही में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा दिया था. आईएमएफ ने कहा है कि अगले वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान की वृद्धि दर 4.7 फीसदी रहेगी, जबकि पाकिस्तान 5.2 फीसदी से ज्यादा मानकर चल रहा है. पाकिस्तान के आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि वो केवल चीन की मदद से आर्थिक संकट से नहीं उबर सकता है. पाकिस्तान इस संकट से निपटने के लिए सऊदी अरब की तरफ भी देख रहा है.

fallback

चीन की वजह से बढ़ रहा घाटा
डॉन अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को चीन की सीपीइसी परियोजाना के कारण ही कर्ज का बोझ उठाना पड़ रहा है. दरअसल, परियोजना के कारण ही चीनी मशीनों का आयात करना होता है. इसकी एवज में उसे भारी रकम चुकानी पड़ती है. यही वजह है कि चालू खाता घाटा और बढ़ रहा है. दूसरी तरफ कच्चे तेल की बढ़ती कीमत से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और भारी पड़ रहा है.

बढ़ रहा है व्यापार घाटा
पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी लगातार बढ़ा रहा है. क्योंकि, पिछले कुछ समय से एक्सपोर्ट के मामले में पाकिस्तान को झटका लगा है. वहीं, उसे आयात ज्यादा करना पड़ रहा है. पिछले साल पाकिस्तान का व्यापार घाटा 33 अरब डॉलर का रहा था. यह घाटा पाकिस्तान के लिए अप्रत्याशित था. व्यापार घाटा बढ़ने का मतलब यह है कि पाकिस्तानी उत्पादों की मांग दुनिया में लगातार गिर रही है.

फिर चीन की दहलीज पर पाक
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान जिस संकट से जूझ रहा है उससे निपटने के लिए उसने चीन से मदद मांगी है. चीन से करीब 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अच्छे प्रतिस्पर्द्धी दर पर पाकिस्तान ने कर्ज लिया है.

(इनपुट भाषा से भी)

Trending news