Pakistan Economic Crisis: रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार के ख़त्म होने का हवाला देते हुए संकेत दिया है कि सितंबर महीने के लिए भी वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता है.
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Pakistan News: पाकिस्तानी सरकार गंभीर वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर के गंभीर तरलता संकट (Dollar Liquidity Crisis) के कारण वह पिछले तीन महीनों से चुनिंदा मिशनों में तैनात अपने राजनयिक कर्मचारियों को वेतन देने में नाकाम रही है.
द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका और हांगकांग में राजनयिक मिशनों में काम करने वाले प्रेस अटैची, साथ ही सिंगापुर में तैनात प्रेस सलाहकारों को जून से भुगतान नहीं किया गया है.
सितंबर में भी वेतन मिलना मुश्किल
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने देश के विदेशी मुद्रा भंडार के ख़त्म होने का हवाला देते हुए संकेत दिया है कि सितंबर महीने के लिए भी वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता है.
यह संकट विशेष रूप से वाशिंगटन, डी.सी. और हांगकांग जैसे शहरों में तैनात पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए चिंताजनक है, जहां रहने की लागत अधिक है, क्योंकि अब उन्हें बिना वेतन के एक और महीने का सामना करना पड़ सकता है.
द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट में शीर्ष सरकारी सूत्रों ने लंबे समय तक वेतन में देरी की पुष्टि करते हुए कहा, 'वाशिंगटन, डी.सी. और हांगकांग में काम करने वाले प्रेस अटैची के साथ-साथ सिंगापुर में प्रतिनियुक्त प्रेस काउंसलर जून से बिना वेतन के रह रहे हैं.'
पहले भी आ चुकी है यह समस्या
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान को अपने राजनयिक कर्मचारियों को भुगतान करने में ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) में, सरकार को इसी तरह के मुद्दे का सामना करना पड़ा था, जिसे अंततः तत्कालीन वित्त मंत्री इशाक डार द्वारा कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) में कर्मचारियों के लिए पूरक अनुदान के माध्यम से वेतन की मंजूरी के साथ हल किया गया.
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कई वर्षों से संघर्ष कर रही है. ढ़ती मुद्रास्फीति दर के कारण इसकी आबादी को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और ऊर्जा की आसमान छूती कीमतों के कारण संकट और भी बढ़ गया है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से $ 3 बिलियन के बेलआउट को मंजूरी मिलने के बावजूद, (जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को अपने ऋण भुगतान में डिफ़ॉल्ट से बचने में मदद करना है), इस्लामाबाद ऋणदाता द्वारा लगाई गई शर्तों को पूरा करने की चुनौती से जूझ रहा है, जिससे देश की वित्तीय स्थिति और जटिल हो गई है.