Pakistan Space Agency: अंतरिक्ष में भी पीछे छूट गया PAK, क्या है पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी का हाल?
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Pakistan Space Agency: अंतरिक्ष में भी पीछे छूट गया PAK, क्या है पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी का हाल?

Pakistan Space Program: पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी की स्थापना 1961 में की गई थी लेकिन इसने 1964 में ही सही मायने में का करना शुरू किया. शुरुआती वर्षों में स्पेस एजेंसी को कुछ सफलता भी मिली लेकिन बाद में यह पिछड़ती चली गई. 

Pakistan Space Agency:  अंतरिक्ष में भी पीछे छूट गया PAK, क्या है पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी का हाल?

Pakistan News: अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की कोशिश को 23 अगस्त को तब उल्लेखनीय सफलता मिल जाएगी जब इसका चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की सतह पर ‘साफ्ट लैंडिंग’ करेगा. यह भारत की अंतरिक्ष में एक बड़ी कामयाबी होगी. दुनिया भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत का गवाह बनने जा रही है. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही वो मुल्क हैं, जिन्होंने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है लेकिन अब भारत भी इस लिस्ट का हिस्सा होगा. क्या आपने कभी सोचा है कि जहां भारत स्पेस में इतना कुछ कर रहा है वहां हमारे पड़ोसी पाकिस्तान का अंतरिक्ष सेक्टर में क्या हाल है.

पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी का नाम है स्पेस एंड अपर एटमोसफेयर रिसर्च कमीशन' (SUPARCO). इसकी स्थापनी 1961 में की गई थी लेकिन इसने 1964 में ही सही मायने में का करना शुरू किया. SUPARCO का मिशन स्पेस साइंस, स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए काम करना है, मगर पाकिस्तान के लिए मिसाइलें बनाने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है.

पाकिस्तान सरकार ने SUPARCO के लिए कुल 739 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. यह हमारी स्पेस एजेंसी इसरो के मुकाबले काफी कम है. इसरो के लिए इस साल 12.5 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया. पाकिस्तान टुडे के मुताबिक, पड़ोसी मुल्क की स्पेस एजेंसी का बजट 739 करोड़ पाकिस्तानी रुपये रहा. अगर भारतीय रुपये से इसकी तुलना की जाए, तो ये 200 करोड़ रुपये ही है. स्पेस रिसर्च के हिसाब से ये बजट ऊंट के मुंह में जीरा है. यही वजह है कि स्पेस में भारत के मुकाबले पाकिस्तान मीलों दूर खड़ा हुआ नजर आता है.

शुरुआत में मिली सफलताएं
SUPARCO को शुरुआती कुछ सालों में अच्छी सफलता मिली. पाकिस्तान ने 1962 में Rehbar-1 के तौर पर अंतरिक्ष में अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया. अमेरिकी की मदद से पाकिस्तान ने इस रॉकेट को लॉन्च किया था. ऐसा करने वाला तब वह 10वां मुल्क था.

Rehbar-1 का मुख्य काम पृथ्वी के ऊपरी वातावरण की स्टडी करना था. इसके जरिए अरब सागर की जलवायु के बारे में जानकारी मिली. पाकिस्तान के डॉपलर रडार ट्रेकिंग स्टेशन की नींव भी इसकी वजह से पड़ी.

शुरुआती सफलताओं के बाद SUPARCO ने अपना ध्यान मिसाइलों के निर्माण पर लगाया. 80 के दशक की शुरुआत में, SUPARCO ने हत्फ-I और हत्फ-II मिसाइलें विकसित करना शुरू किया.

90 के दशक से बिगड़ने लगी स्थिती
SUPARCO की प्रगति के लिए 90 के दशक में बाधित हुए और फिर बिगड़ती ही चली गई. इसके दो प्रमुख कारण माने जाते हैं एक तो देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था और दूसरा हथियार बनाने पर ज्यादा फोकस करना.

हालांकि 2018 में कुछ उम्मीद जगी जब पाकिस्तान ने चीन की मदद से 'टेक्नोलॉजी इवैल्यूएशन सैटेलाइट' को अंतरिक्ष में भेजा. लेकिन अब फिर पाकिस्तान की आर्थिक हालत बहुत खराब है. देश भारी कर्ज में डूबा हुआ है. किसी तरह विदेशी और आईएमएफ से मिली मदद के आधार पर चल रहा है. ऐसें में निकट भविष्य में भी SUPARCO के लिए उम्मीद की किरण नहीं दिखती है.

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