India-China Border Dispute: चीन (China) को जवाब देने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) अब उसकी ही भाषा को हथियार बनाने जा रही है. इंडियन आर्मी ने चीन के खिलाफ खास रणनीति बना ली है.
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India-China Relations: भारत-चीन सीमा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन (China) की हेकड़ी का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) हर तरह से मुस्तैद है. LAC पर जवानों और आधुनिक हथियारों की तैनाती के साथ सेना ने भाषा को भी हथियार बनाने की मुहिम शुरू की है. जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना ने अपने सैनिकों को चीन की भाषा मैंडरिन सिखाने वाले कोर्सेज की तादाद चार गुना बढ़ा दी है. अब तक सेना की एजुकेशनल कोर के पंचमढ़ी स्थित हेडक्वॉर्टर में मैंडरिन भाषा का सिर्फ़ एक कोर्स चलाया जाता था.
चीन के खिलाफ 'भाषा' बनेगी हथियार
बता दें कि दो साल के इस कोर्स में 10 अफसरों और 30 सैनिकों को मैंडरिन भाषा सिखाई जाती है. लेकिन गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद सेना ने अब ऐसे कोर्सेज की संख्या बढ़ाकर चार कर दी है. कोर्स पूरा होने पर कुछ अफसरों और जवानों को चुनकर उन्हें पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के लिए भेजा जाता है.
इस यूनिविर्सिटी से हुआ करार
जान लें कि पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के लिए सेना ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय और तेजपुर विश्वविद्यालय से समझौता किया है. भारत और चीन के बीच 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसे लेकर कई जगहों पर मतभेद हैं. लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दोनों देशों के सैनिकों के बीच कई बार हिंसक झड़प हो चुकी है.
जवान क्यों सीख रहे मैंडरिन भाषा?
हालांकि, दोनों देशों के बीच हुए अलग-अलग समझौतों के कारण विवाद होने पर भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं होता है. लेकिन दोनों देशों के जवान अक्सर बहस और फिर मारपीट में उलझ जाते हैं. इसीलिए भारतीय जवानों को मैंडरिन सिखाई जा रही है ताकि सरहद पर जब चीन के जवानों से टकराव हो तो हमारे जवान उनके साथ बेहतर तरीके से चर्चा कर सकें और विवाद टाला जा सके.
क्या है भारत-चीन सीमा विवाद?
बता दें कि भारत और चीन के बॉर्डर पर तार नहीं खिंचे हुए हैं. सुरक्षा के लिए दोनों देशों की सेनाएं पेट्रोलिंग करती हैं. पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चिन पर भारत का दावा है, पर ये क्षेत्र फिलहाल चीन के कब्जे में है. वहीं पूर्वी सेक्टर में भी भारत के अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्से पर अपना दावा करता है. चीन का कहना है कि ये साउथ तिब्बत का हिस्सा है. सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत-चीन कई दौर की वार्ता कर चुके हैं. लेकिन अभी तक बात नहीं बनी हैं.
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