Qamar Javed Bajwa: पाकिस्तान में भले ही आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा बहुत ताकतवर माने जाते हों लेकिन प्राइवेट अस्पतालों पर उनकी भी एक नहीं चलती. उनके दोस्त का निधन हो जाने पर एक प्राइवेट अस्पताल ने शव सौंपने से इनकार कर दिया. इसकी वजह जानकर आप शॉक्ड रह जाएंगे.
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Olympic Manzoor Hussain: प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी से केवल भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी पाकिस्तान (Pakistan) के लोग भी परेशान हैं. पाकिस्तान में ओलंपिक खिलाड़ी रहे देश की हॉकी टीम के पूर्व कप्तान मंजूर हुसैन (Manzoor Hussain Junior) का हार्ट अटैक से निधन हो गया. लेकिन बकाया न चुका पाने पर अस्पताल प्रबंधन ने कई घंटों तक परिवार वालों को शव सौंपने से इनकार कर दिया. मंजूर हुसैन कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं बल्कि मौजूदा आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के निजी दोस्त भी थे.
कमर जावेद बाजवा ने जताया शोक
पाकिस्तान आर्मी के पीआर सेल ISPR ने ट्वीट करके कहा, 'आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ( Qamar Javed Bajwa) ने हॉकी लीजेंड और निजी दोस्त मंजूर हुसैन की मौत पर गहरा दुख जताया है. अल्लाह उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार वालों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे. आमीन.'
General Qamar Javed Bajwa, COAS is deeply grieved on the sad demise of hockey legend and a personal friend Olympian Manzoor Hussain, Junior. “May Allah bless his soul & give strength to the bereaved family to bear this irreparable loss, Ameen.” COAS.
— DG ISPR (@OfficialDGISPR) August 29, 2022
हॉकी खिलाड़ी मंजूर हुसैन (64 साल) मंजूर जूनियर (Manzoor Hussain Junior) के नाम से मशहूर थे. वे 1976 और 1984 के ओलंपिक में ब्रांज और गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. वे 1978 और 1982 में वर्ल्ड कप जीतने वाली हॉकी टीमों का भी हिस्सा थे.
सोमवार तड़के बिगड़ गई थी तबियत
मंजूर हुसैन (Manzoor Hussain Junior) दिल की बीमारी से पीड़ित थे. सोमवार तड़के उनकी तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद परिवार के लोग उन्हें अस्पताल लेकर गए. उन्हें लाहौर के शालीमार अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.
मौत के बाद अस्पताल ने नहीं दिया शव
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार के एक अधिकारी ने बताया,‘अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के बकाया रकम का भुगतान नहीं करने पर इस पूर्व दिग्गज के शव को कई घंटे तक रोके रखा. बाद में पाकिस्तान हॉकी महासंघ (PHF) ने इस मामले का संज्ञान लिया और पांच लाख रुपये के भुगतान की व्यवस्था की. इसके बाद उनके शव को परिजनों को सौंपा गया.’
(एजेंसी भाषा)