Aksai China News; चीनी सेना की गतिविधियों में एक संकीर्ण नदी घाटी के किनारे पहाड़ी पर सुरंगों और शाफ्ट का निर्माण शामिल है. भारत अक्साई चिन क्षेत्र को अपना अभिन्न अंग कहता है.
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India-China Border Dispute: चीनी सैन्य बलों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पूर्व में स्थित अक्साई चिन में महत्वपूर्ण भूमिगत निर्माण गतिविधियां शुरू की हैं. विभिन्न मीडिया रिपोट्स में ऐसा दावा किया गया है. बता दें भारत इस क्षेत्र को अपना अभिन्न अंग कहता है.
चीनी सेना की गतिविधियों में एक संकीर्ण नदी घाटी के किनारे पहाड़ी पर सुरंगों और शाफ्ट का निर्माण शामिल है. सैनिकों को रखने और हथियारों को छिपाकर रखने के लिए कई किलेबंद शेल्टर और बंकर बनाए जा रहे हैं. इंटरनेशनल प्रौद्योगिकी कंपनी, मैक्सार की सैटेलाइट इमेजरी ने कथित तौर पर नदी घाटी के दोनों किनारों पर चट्टान की सतहों में खुदी हुई लगभग 11 छिपी हुई शाफ्ट की उपस्थिति को उजागर किया.
भारत की गतिविधियों में चीनी प्रतिक्रिया
विभिन्न मीडिया आउटलेट्स द्वारा उद्धृत विशेषज्ञों ने इन छवियों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है और उनकी राय है कि पिछले कई महीनों में ये व्यापक निर्माण गतिविधियां, क्षेत्र में भारत के कथित सैन्य गतिविधियों के जवाब में चीन की रणनीतिक चाल को दर्शाती हैं.
मीडिया रिपोट्स में कहा गया है कि शेल्टरों और बंकरों का निर्माण संभावित भारतीय हवाई हमलों और विस्तारित दूरी के तोपखाने हमलों के खिलाफ अपनी तैयारी सुनिश्चित करने के लिए चीन द्वारा एक सामरिक कदम का प्रतिनिधित्व करता है.
ये नवीनतम घटनाक्रम जहां उपग्रह चित्रों में सुरंगें दिखाई दे रही हैं, इस क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए चीन की महत्वाकांक्षाओं का संकेत देते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि चीन की मंशा अक्साई चिन में भारतीय वायुसेना की मौजूदा बढ़त को कम करना है. इस दृष्टिकोण को गलवान झड़प के बाद भारत की बढ़ी हुई आक्रामक क्षमताओं की प्रतिक्रिया भी माना जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
इंटेल लैब के एक प्रमुख उपग्रह इमेजरी विशेषज्ञ, डेमियन साइमन ने एनडीटीवी को बताया, 'सीमा के इतने निकट भूमिगत सुविधाएं स्थापित करके और भूमिगत बुनियादी ढांचे का विकास करके, चीनी रणनीतिकारों का लक्ष्य अक्साई चिन में भारतीय वायु सेना द्वारा प्राप्त वर्तमान बढ़त को संतुलित करना है.'
अग्रणी भारतीय ड्रोन स्टार्ट-अप, न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के सीईओ समीर जोशी ने एनडीटीवी को बताया, 'गलवान संघर्ष के बाद के वर्षों में, भारतीय सेना ने अपने आक्रामक फायर वैक्टर, विशेष रूप से लंबी दूरी की ट्यूब और रॉकेट को प्रभावी ढंग से बढ़ाया है.'
पहले भी आती रही हैं इस तरह की रिपोट्स
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब चीन की हरकतें सामने आई हैं. इससे पहले, ब्रिटेन स्थित एक थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बीजिंग भारतीय सीमा के पास सेना की सुचारू तैनाती के लिए इन गतिविधियों में लिप्त है.
चैथम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया कि मई 2020 में भारत के साथ सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से चीनी पीएलए ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी पक्ष पर चौकियों, शिविरों और विस्तारित सड़कों का एक नेटवर्क बनाया है. यह अक्टूबर 2022 के बाद से छह महीनों में ली गई उपग्रह छवियों के व्यापक अध्ययन पर आधारित थी.