Red Chilli: मिर्च में कैप्साइसिन नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो मिर्च को तीखा बना देती है. कैप्साइसिन मिर्च के बीच वाले हिस्से में पाई जाती है. ये मिर्च को फफूंदी लगने से बचाती है. कैप्साइसिन जीभ और त्वचा पर पाए जाने वाली नसों पर अपना असर छोड़ता है.
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Indian vegetable: खाने में हरी मिर्च हो या फिर लाल मिर्च इसके पढ़ते ही खाने का स्वाद एकदम बदल जाता है. किचन में मिर्च का अहम रोल होता है. हर खाने में मिर्च का प्रयोग घरों में जरूर किया जाता है. खासतौर पर हरी मिर्च का प्रयोग तो जरूर होता है, लेकिन किसी को ये नहीं पता होगा कि आखिरकार मिर्च इतनी तीखी क्यों होती है. कुछ-कुछ मिर्च तो इतनी तीखी होती है कि उसे खाते ही पूरे मुंह में जलन होने लगती है और आंखों से आंसू आने लगते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर मिर्च में ऐसा क्या होता है, जिसकी वजह से मिर्च इतनी तीखी होती है. मिर्च को अगर हम अधिक मात्रा में प्रयोग कर लेते हैं तो कभी-कभी हमारे पेट में भी जलन पैदा कर देती है. ये खाने के स्वाद को तो बढ़ाती है मगर अधिक प्रयोग करने से ये हमें नुकसान भी कर जाती है.
पानी पीने से भी नहीं शांत होता है तीखापन
कुछ-कुछ मिर्च तो इतनी तीखी होती है कि यदि आपने उसे खा लिया तो पानी पीने के बाद भी उसका तीखापन खत्म नहीं हो पाता है. यदि मिर्च को हाथ से काटा और धोखे से भी वह हाथ आंखों में लग गया तो उसकी जलन बर्दाश्त नहीं होती है. आप कितना भी हाथ पानी से धो लें मगर मिर्च की जलन आपके हाथों में थोड़ी बहुत रह जाती है और ये आपको बाद में परेशान कर लेती है.
इसलिए होती है तीखी
मिर्च में कैप्साइसिन नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो मिर्च को तीखा बना देती है. कैप्साइसिन मिर्च के बीच वाले हिस्से में पाई जाती है. ये मिर्च को फफूंदी लगने से बचाती है. कैप्साइसिन जीभ और त्वचा पर पाए जाने वाली नसों पर अपना असर छोड़ता है. कैप्साइसिन खून में सब्सटेंस नामक केमिकल रिलीज करता है जो दिमाग में जलन और गर्मी का एहसास कराता है. यही वजह है कि मिर्च को खाने के बाद आपको जलन महसूस होती है.
कैप्साइसिन घुलनशील नहीं होता है
कैप्साइसिन घुलनशील ना होने के कारण इसका तीखापन पानी से नहीं जाता है. मिर्च खाने से कभी भी तीखा लगे तो हमेशा दूध, दही, शहद या शक्कर का प्रयोग करना चाहिए, तभी ये तीखापन शांत होगा.
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