Khargone: आपने सोटीयों से पुरुषों की पिटाई के बाद महिलाओं का झूमकर खुशी से नाचते हुए नही देखा होगा. हां ये है खरगोन जिले के धुलकोट गांव में...यहां आदिवासी दरबार भिलाला समाज की वर्षों पुरानी परंपरा है. इस परंपरा का नाम है गुड़-तौड. ये होली के बाद सप्तमी को उत्सव के रूप में मनाई जाती है. समाज के हजारों लोग महिला, पुरुष, बुजुर्ग, बच्चे, युवक और युवतियां सभी शामिल होते हैं. एक बड़े मैदान में 12 फीट के खंबे पर लाल कपड़े में गुड़ की पोटली बांधी जाती है. पुरुषों को मटकी फोड़ की तर्ज पर एक के ऊपर एक खड़े होकर खंबे से उस गुड़ बंधे लाल कपड़े की पोटली को खोलकर निकालना होता है. सात बार यह किया जाता है.