Story Of Laddoo: डॉक्टर ने शराबी मरीज की आखिरी सांस तक की शेयर की कहानी, पढ़कर लोगों की कांप उठी रूह
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Story Of Laddoo: डॉक्टर ने शराबी मरीज की आखिरी सांस तक की शेयर की कहानी, पढ़कर लोगों की कांप उठी रूह

Alcohol Use Disorder: एक डॉक्टर ने अपने शराबी पेशेंट को लेकर एक ऐसा किस्सा बताया, जिसके बारे में सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. एक ऐसा परिवार जो जिनके पास इलाज कराने के पैसे नहीं, लेकिन वह शराब की लत छुड़ाने के लिए कोसों दूर जाता रहा.

Story Of Laddoo: डॉक्टर ने शराबी मरीज की आखिरी सांस तक की शेयर की कहानी, पढ़कर लोगों की कांप उठी रूह

Alcoholic Patient: एक डॉक्टर ने अपने शराबी पेशेंट को लेकर एक ऐसा किस्सा बताया, जिसके बारे में सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. एक ऐसा परिवार जो जिनके पास इलाज कराने के पैसे नहीं, लेकिन वह शराब की लत छुड़ाने के लिए कोसों दूर जाता रहा. बीमारी बढ़ने पर डॉक्टर ने उसे ठीक करने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आया और आखिर में वह हुआ, जिसके बारे में सुनकर लोग कांप उठे. सोशल मीडिया पर डॉक्टर द्वारा लिखी गई एक कहानी लोगों का दिल छू रही है और शराब की लत से दूर रहने का संदेश दे रही है. ट्विटर पर @theliverdr नाम के डॉक्टर ने पूरी कहानी अपने ट्वीट में साझा की.

डॉक्टर ने ट्विटर पर एक तस्वीर के साथ लिखा- 

कुछ हफ्ते पहले, ये तीन लड्डू मेरे एक पेशेंट की पत्नी ने मुझे उसके जन्मदिन पर दिए थे. अब वह खुश थी. परिवार का भी अच्छा समय चल रहा था. मेरे पेशेंट पॉल को शराब की लत से जुड़ी बीमारी थी. 15 साल से भी लंबे समय से‌ वो शराब का आदी था. तीन महीने पहले उसे गंभीर शराब संबंधी हेपेटाइटिस हो गया था. पीलिया, पेट में पानी, खून में इनफेक्शन, और दिमागी भटकन के रहते उसे हमारी यूनिट में स्पेशलिस्ट मैनेजमेंट और लिवर ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया था. लिवर ट्रांसप्लांट शुरू से ही रास्ता नहीं था. पॉल की एक छोटी सी किराने और बेकरी की दुकान थी. उसकी दो बेटियां थीं, 5 साल और 9 साल की. उसकी पत्नी पहले पार्टटाइम छोटे-मोटे काम किया करती थी. वो भी उसने बच्चों के पैदा होने के बाद छोड़ दिये थे.

परिवार के पास पॉल के ट्रांसप्लांट के लिए जांच तक के लिए भी जरूरी रकम नहीं था. हालात देखते हुए हमने उसे एंटीबायोटिक्स दिए, इनफेक्शन हटाने और उसे जिंदा रखने के लिए साल्वेज स्टूल ट्रांसप्लांट पर डाला. इस सब का सही असर दिखने लगा. शराब संबंधी हेपेटाइटिस सुधरने लगा और वह एक स्थिर सिरोसिस रोगी की हालत में आ गया. हमने उसे आगे भी ठीक रखने के लिए नशामुक्ति दिमागी इलाज प्रोग्राम में दाखिल कराया. 3 महीनों तक वह सही दिशा में जाता रहा. फिर उसने मेरे आउटडोर रोगी विभाग में आना बंद कर दिया. फिर से शराब पीने लगा. पहले पहल करीब 300 मिलीलीटर और फिर लगभग एक लीटर रोज़ाना.

एक दिन पॉल के चचेरे भाई उसे मेरे आउटडोर रोगी विभाग में ले आए. मैंने देखा कि उसकी हालत बहुत खराब थी. उसने दवाइयां बंद कर दी और वह वापस अपने "अच्छे दोस्तों" (शराब पीने वाले दोस्तों के साथ) की संगत में चला गया था. वह उनके शराब के खर्चे उठा रहा था. मैंने पॉल से बात की. उसे समझाया कि यह एक बीमारी है, उसे मदद की जरूरत है. उसके दोस्त सही लोग नहीं हैं और उसकी बेटियों को एक पिता की जरूरत है. वह बहुत रोया. उसने मुझे बताया कि उसे शराब किसी भी चीज से ज्यादा भाती थी. किसी तरह वह दोबारा नशामुक्ति के लिए राजी हो गया और प्रोटोकॉल में वापस गया भी. पर एक बार फिर से पीने भी लगा.

बार-बार अस्पताल आना जाना, दवाइयां और खुद के लिए और दोस्तों के लिए शराब खरीदने के खर्चे अब भयंकर समस्या बन गए. एक दिन उसकी पत्नी अकेली आयी और मुझे बोली कि हम उसे फिर से ठीक न करें.  क्योंकि जब वह कुछ ठीक होता है, तो वापस शराब पीने लग जाता है. उनका हाथ पहले ही तंग है और‌ दिक्कतें और ज़्यादा बढ़ जाती हैं. हम पॉल को थोड़ा बीमार रहने दें, ताकि वह खुद दुकान चलाकर कमा सके और गुज़र-बसर कर ले. पॉल घर पर रहेगा तो वो खुद घर-परिवार के लिए कमा सकेगी. कुछ महीनों के बाद एकबारगी कुछ ज्यादा ही शराब पीने के बाद पॉल को फिर से गंभीर शराब संबंधी हेपेटाइटिस हो गया.

इस बार बीमारी पहले से भी ज़्यादा विकराल थी. उसकी किडनी पर गहरा असर हो गया था. परिवार ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने से इंकार कर दिया. उनके पास अब फालतू पैसा नहीं था. जो थोड़ा बहुत बचा था वो बेटियों की पढ़ाई के लिए रखा था, जिसे मां बरबाद नहीं करना चाहती थी. उनकी रिहायश भी दूर थी. जहां मैं काम करता हूं, वहां से करीबन 400 किमी दूर. अगले 2 सप्ताह में मैंने नियमित रूप से दवाइयां लिखी लक्षणों को कम करने रखने के लिए. साथ ही परिवार को फोन पर सांत्वना देता रहा. पॉल का इलाज घर पर ही होता रहा. उनके घर के पास ही एक काबिल डॉक्टर पॉल को एंटीबायोटिक्स और फ्लुएड्स देते रहे. 

मेरे द्वारा शराब संबंधी हेपेटाइटिस दोबारा होने का डायग्नोसिस करने के 18वें दिन पर पॉल की अपने घर पर मृत्यु हो गई. पॉल के गुजरने के तीन महीने बाद उसकी पत्नी उसके जन्मदिन पर मेरे लिए मिठाई लेकर आयी. लंबा सफर करके. ये तीन लड्डू. एक उसकी और दो उसकी बेटियों की तरफ से, क्योंकि मैंने कभी उसे या पॉल को बुरा नहीं कहा था. उसे विफल होने का अहसास नहीं कराया था. कभी उसे या पॉल को उसकी बीमारी के लिए दोषी नहीं ठहराया था. मैं पॉल के व्यवहार पर कभी चिल्लाया नहीं था. वे अब आज़ाद थे. लड़कियां स्कूल जा रही थीं और पॉल की पत्नी दुकान अच्छी तरह से चला रही थी.

लेकिन मेरा ध्यान सिर्फ उस चौथे लड्डू पर था. वह जो मुझे पॉल से कभी नहीं मिला था, क्योंकि वह जिंदा ही नहीं था. एक औरत ने अपने पति को और दो होनहार बच्चों ने अपने पिता को खो दिया था. तीनों बड़ी चोट खाये थे और उनके जीवन में कभी न भरा जा सकने वाला खालीपन था. मैं किसी को भी उनकी सेहत दुरुस्त होने पर भी शराब कभी कभार भी पीने की सलाह नहीं देता. मैं थोड़ी बहुत शराब पीने की भी सलाह नहीं देता. मैं ये सलाहें नहीं देता, क्योंकि मुझे शराब के हाथों परिवारों को लाखों टुकड़ों में टूटते हुए देखकर दुख होता है, पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेस रहता है.

 

 

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