काटते ही खून की बौछार करता है ये पेड़! जिसने भी उठाई कुल्हाड़ी हुआ अनहोनी का शिकार
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काटते ही खून की बौछार करता है ये पेड़! जिसने भी उठाई कुल्हाड़ी हुआ अनहोनी का शिकार

Temple In Bihar: बुढ़िया माई मंदिर (सारण) एक महत्वपूर्ण स्थान है जो लोगों के दिलों में एक अलग ही स्थान रखता है. स्थानीय लोगों की आस्था मंदिर से जुड़ी हुई है. लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले रेलवे ने मंदिर को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली.

काटते ही खून की बौछार करता है ये पेड़! जिसने भी उठाई कुल्हाड़ी हुआ अनहोनी का शिकार

Temple In Bihar: बुढ़िया माई मंदिर (सारण) एक महत्वपूर्ण स्थान है जो लोगों के दिलों में एक अलग ही स्थान रखता है. स्थानीय लोगों की आस्था मंदिर से जुड़ी हुई है. लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले रेलवे ने मंदिर को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. रेलवे ने मंदिर को हटाने के बजाय उसे जिर्णोद्धार करवाया. मंदिर के प्रांगण में सैकड़ों साल पुराने पीपल के पेड़ की भी एक मान्यता है. स्थानीय लोगों के अनुसार, पीपल के पेड़ को काटने से खून निकलता है. जो कोई भी पेड़ को काटने की कोशिश करता है उसके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है. इस पेड़ के काटने की कोशिश करने वालों में बेहद ही भय है.

मंदिर से जुड़ी है ऐसी अजीबोगरीब मान्यताएं

रेलवे की जमीन पर मंदिर होने की वजह से प्रशासन ने यहां से मंदिर हटाने की कोशिश की थी. ऐसी घटनाएं व मान्यताओं की वजह से रेलवे के अधिकारी अब मंदिर को हटाने के बजाय उसे जिर्णोद्धार करवाया, जो लोगों के लिए अच्छी खबर है. इस तरह से मंदिर अपनी स्थानीय महत्ता को संजोएगा. बुढ़िया माई मंदिर के साथ-साथ पीपल के पेड़ की मान्यता भी स्थानीय लोगों के बीच अपार मान्यता का विषय है. पीपल के पेड़ बेहद पुराना है. शास्त्रों में भी पीपल को देवताओं का आवास माना जाता है.

पेड़ के काटने पर निकलता है बहुत सारा खून

जब रेलवे कर्मचारी ने मंदिर के पास पीपल के पेड़ को काटने की कोशिश की, तो उन्हें इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में पता नहीं था. परन्तु पेड़ को काटते समय उन्हें अचानक खून निकलते देखा गया, जिससे वे घबरा गए. बाद में उन्हें वहां के लोगों ने इस बारे में बताया कि इस पेड़ को काटने की कोशिश करना शुभ नहीं है. इस वजह से रेलवे कर्मचारी ने पेड़ को छोड़ दिया. बुढ़िया माई मंदिर जमशेदपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है. यह मंदिर सारण नामक छोटे से गांव में है. स्थानीय लोगों की मानना है कि मंदिर लगभग 400 साल पुराना होने के कारण इसका बहुत महत्त्व है.

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