Toilet facility in train: क्या आप जानते हैं भारतीय रेलवे ने 55 साल तक ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा ही नहीं दी थी. इसके बाद एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद रेलवे ने ट्रेनों के डिब्बों में टॉयलेट की सुविधा देनी शुरू की.
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Railways start Toilet Facility: रेलवे का सफर सुविधाजनक माना जाता है. इसके पीछे टॉयलेट सबसे बड़ी वजह होती है. सोचिए अगर ट्रेन में टॉयलेट न हो, तो क्या आप उसमें सफर कर सकते हैं. ज्यादातर लोग कहेंगे- जी नहीं, बिना टॉयलेट के ट्रेन में सफर करना नामुमकिन है, लेकिन एक जमाना था, तब इंडियन रेलवे ऐसी कोई सुविधा नहीं देता था. फिर एक बार ओखिल चंद्र सेन नाम के एक यात्री ने इस बारे में शिकायत और अनुरोध किया. उसके बाद रेलवे ने इस मामले में सोचना शुरू किया, उसके बाद ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा देनी शुरू की.
लगभग 55 साल तक नहीं था ट्रेन में टॉयलेट
भारत में ट्रेन की शुरुआत 1853 में हुई थी. जब 6 अप्रैल 1853 को पहली यात्री ट्रेन मुंबई से ठाणे के लिए चलाई गई थी, लेकिन क्या आप जानते हैं उस समय ट्रेन में बहुत ही खास फीचर नहीं था. ओखिल चंद्र ने जुलाई 1909 में साहिबगंज रेल डिवीजन, पश्चिम बंगाल को एक लेटर लिखा, जिसमें उन्होंने ट्रेन में टॉयलेट लगवाने का अनुरोध किया. उसके बाद इंडियन रेलवे ने ट्रेनों में टॉयलेट लगाने के लिए काम किया.
किसने लिखा था ये पत्र
इस पत्र को किसी ओखिल चंद्र सेन नाम के एक यात्री ने लिखा था. इन्होंने एक पत्र के माध्यम से अंग्रेजों तक अपनी बात पहुंचाई. जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे वे टॉयलेट जाने की वजह से ट्रेन नहीं पकड़ पाए. इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि इंडियन रेलवे को ट्रेन में टॉयलेट लगवाना चाहिए.
लेटर में क्या लिखा था ओखिल चंद्र ने ?
ओखिल चंद्र सेन ने इंडियन रेलवे के अधिकारियों को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया था कि डियर सर, मैं ट्रेन से अहमदपुर रेलवे स्टेशन तक आया और इस बीच मेरा पेट दर्द होने लगा और उसी वजह से पेट सूज गया था. जहां ट्रेन कुछ समय के लिए रुकी. वहां मैं टॉयलेट करने के लिए बैठ गया, लेकिन उसी दौरान ट्रेन के गार्ड ने सीटी बजा दी और ट्रेन चल दी. ट्रेन पकड़ने के चक्कर में, मेरे एक हाथ में लोटा तो दूसरे हाथ में धोती थी, जिसे पकड़कर में दौड़ रहा था. इस वजह से, मैं प्लेटफार्म पर ही गिर गया और वहीं मेरी धोती भी खुल गई. वहां महिला-पुरूष सब थे, उन सबके सामने मुझे शर्मिंदा होना पड़ा और मेरी ट्रेन भी छूट गई. ट्रेन छुटने की वजह से, मैं अहमदपुर रेलवे स्टेशन पर ही रह गया. यह कितनी गलत बात है कि कोई टॉयलेट करने गए उतरा है और ट्रेन का गार्ड उसे लेने के लिए कुछ समय रुका भी नहीं. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि उस ट्रेन के गार्ड पर जुर्माना लगाया जाए नहीं तो, मैं ये बात अखबारों में छपवा दूंगा. आपका सेवक, ओखिल चंद्र सेन.
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