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Alien Signal: 15 अगस्त 1977 को, अमेरिका के ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के बड़े रेडियो टेलीस्कोप से अंतरिक्ष से संकेत मिले. ये टेलीस्कोप दूर के ग्रहों से संदेश सुनने के लिए बनाया गया था. इस दिन जो संकेत मिले वो 72 सेकंड तक चले और बहुत ही खास थे. उन्हें ढूंढने वाले वैज्ञानिक जेरी इहमन इतने हैरान हुए कि उन्होंने रिकॉर्डिंग पेपर पर WOW लिख दिया, इसी से ये संकेत "WOW" के नाम से मशहूर हुआ. ये संकेत सैगिटैरियस की दिशा से आए थे और माना जाता है कि ये किसी दूसरे ग्रह से भेजे गए हो सकते हैं.
कई तरह के अंदाज लगा रहे हैं वैज्ञानिक
WOW सिग्नल को मिले अब तक कई साल हो चुके हैं, लेकिन ये पता नहीं चल पाया है कि ये सिग्नल कहां से आया था. वैज्ञानिक कई तरह के अंदाज लगा रहे हैं. कुछ का मानना है कि ये शायद अंतरिक्ष में होने वाली किसी प्राकृतिक घटना से आया होगा या फिर धरती पर किसी चीज की वजह से ये सिग्नल पैदा हुआ होगा. लेकिन ये भी हो सकता है कि ये किसी दूसरे ग्रह के रहने वालों का भेजा हुआ संदेश हो. ये अभी भी एक रहस्य है. हाल ही में वैज्ञानिकों को सूरज जैसे एक तारे का पता चला है जो 1800 प्रकाश-वर्ष दूर है, हो सकता है सिग्नल वहीं से आया हो, पर ये अभी पक्का नहीं है.
हाइड्रोजन के एटम तेजी से गति
BBC के मुताबिक, WOW सिग्नल रेडियो तरंगों के एक खास इलाके से आया था. इस इलाके में तरंगों की लंबाई 21.106 सेंटीमीटर और आवृत्ति (frequency) 1420.406 मेगाहर्ट्ज़ थी. इस खास जगह को हाइड्रोजन लाइन कहा जाता है. ये तब बनती है जब हाइड्रोजन के एटम तेज़ी से गति करते हैं, गौरतलब है कि हाइड्रोजन ब्रह्मांड का सबसे आम तत्व है.
वैज्ञानिक की दिलचस्प थ्योरी
WOW सिग्नल के बारे में कई थ्योरी हैं. 2016 में एंटोनियो पारिस नाम के वैज्ञानिक ने एक दिलचस्प थ्योरी दी. उन्होंने बताया कि शायद ये सिग्नल किसी धूमकेतु की वजह से आया होगा. उस समय दो धूमकेतु (266P/क्रिस्टेंसन और P/2008 Y2) आकाश के उस हिस्से में थे जहां से सिग्नल आया था. हो सकता है इनके साथ हाइड्रोजन की गैस भी थी और उसी से ये सिग्नल पैदा हुआ हो. इसीलिए शायद ये सिग्नल सिर्फ एक बार ही आया होगा, क्योंकि वो धूमकेतु तो आगे चला गया होगा अपनी यात्रा पर. लेकिन कुछ वैज्ञानिक इस थ्योरी से पूरी तरह सहमत नहीं हैं, उनका मानना है कि ये सिग्नल पूरी तरह से समझाने में ये थ्योरी कमजोर है.