डीएम और एडीएम के काम तरीका क्या होता है, जानिए कौन है ज्यादा पावरफुल
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डीएम और एडीएम के काम तरीका क्या होता है, जानिए कौन है ज्यादा पावरफुल

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) और एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (ADM), ये दोनों ही पद जिले में सबसे बड़े प्रशासनिक पदों में से होते हैं. इन अधिकारियों की जिम्मेदारीपूरे जिले के लॉ एंड ऑर्डर से लेकर रेवेन्यू कलेक्शन से संबंधित तमाम कार्यों की होती हैं.

डीएम और एडीएम के काम तरीका क्या होता है, जानिए कौन है ज्यादा पावरफुल

AD, ADM Working Method: डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) और एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (ADM), ये दोनों ही पद जिले में सबसे बड़े प्रशासनिक पदों में से होते हैं. इन अधिकारियों की जिम्मेदारीपूरे जिले के लॉ एंड ऑर्डर से लेकर रेवेन्यू कलेक्शन से संबंधित तमाम कार्यों की होती हैं. इसके साथ ही जिले में होने वाली किसी भी तरह की एक्टिविटी के लिए भी जिम्मेदार होते हैं.

किसे कहते हैं डीएम और एडीएम
कलेक्टर को ही डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहते हैं. डीएम भारतीय प्रशासनिक सेवा का ऑफिसर होता है. सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करने के बाद हाईएस्ट रैंक वाले कैंडिडेट्स को डीएम पद पर पोस्टिंग मिलती है. जबकि, एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हमेशा जिलाधिकारी के नियंत्रण में काम करते हैं. इनकी जिम्मेदारी दैनिक गतिविधियों में कलेक्टर की मदद करना है.

जिलाधिकारी की प्रमुख जिम्मेदारियां
जिलाधिकारी का प्रमुख काम जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखना.
डीएम आपराधिक प्रशासन का प्रमुख होता है और जिले के सभी एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेटों की देखरेख करता है.
पुलिस के कार्यों को नियंत्रित और निर्देशित करना. 
जिले में जेलों और लॉकअप के प्रशासन पर उनके पास सुपरविजन और ग्रामीण विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करना. 
कलेक्टर, विस्थापित व्यक्ति (मुआवजा और पुनर्वास) अधिनियम, 1954 के तहत डिप्टी कस्टोडियन के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 
जिलाधिकारी नागरिक प्रशासन का एक्जीक्यूटिव प्रमुख है, जिले के सभी विभाग, जिनके पास अन्यथा अपने स्वयं के अधिकारी होते हैं, मार्गदर्शन और समन्वय करना
नगरपालिका समितियों, बाजार समितियों, पंचायत समितियों, सामुदायिक विकास खंडों और जिला परिषद के प्रशासन में अहम भूमिका निभाते हैं. 
जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में, समय-समय पर जिले में होने वाले सभी चुनावों के शांतिपूर्ण और व्यवस्थित संचालन. 
अपने जिले के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र/निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में कार्य करते हैं.

एडीएम की जिम्मेदारियां
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कलेक्मटर के कार्यों में मदद करते हैं. 
डीएम के जिले में उपस्थित न होने पर सभी गतिविधियों की जिम्मेदारी एडीएम की होती है.  
एडीएम के पास निर्णय लेने का पूरा अधिकार होता है. 
एडीएम द्वारा सभी प्रकार के सर्टिफिकेट, जैसे विवाह, निवास, और अन्य सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं. 
बाल मजदूरी के मामलों की जांच करना, दोषी होने पर कार्रवाई करना और अपराधी को सजा देना.
कई जिला कार्यालयों, सब डिवीजनलों और तहसीलों की देखरेख और कानून व्यवस्था बनाए रखना. 
भूमि रजिस्ट्रेशन और संपत्ति के कागजात समेत भूमि से संबंधित सभी गतिविधियों का संचालन.

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