अब तक हलाल-हराम वाला झगड़ा सिर्फ़ मांस-मीट को लेकर था। ..लेकिन अब बात चाय-बिस्किट, नमकीन भुजिया, चावल-शक्कर तक आ गई है। यूपी में योगी सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट देने वाली 4 संस्थाओं को बैन कर दिया है। जो कंपनियां इनसे हलाल सर्टिफिकेट लेती हैं, उनपर भी FIR दर्ज की है। कार्रवाई के पीछे कई लॉजिक हैं। पहला ये कि देश में ऐसे सर्टिफिकेट देने के लिये FSSAI है, तो किसी और को हलाल सर्टिफिकेट देने का कोई हक़ नहीं है। दूसरा ये कि खाने-पीने की चीज़ों को हलाल और हराम में बांटना एक तरह से मज़हबी बंटवारा करने जैसा है। ..दो तरह के शक़ भी हैं, कि हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर कहीं बाज़ार पर कब्ज़े की मज़हबी साज़िश तो नहीं है?..दूसरा शक़ ये कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर कमाया जा रहा है पैसा किसी देशविरोधी काम में तो इस्तेमाल नहीं हो रहा?