कर्नाटक में अब बड़ा सवाल यही रहेगा कि 10 मई को जब वोटर अपना वोट डालने निकलेगा तो उसके दिमाग़ में कौन सा मुद्दा सबसे ऊपर होगा?...क्या वो सीधे मेनिफेस्टो देखेगा कि कौन सी पार्टी उसे सबसे ज़्यादा मुफ्त दे रही है?...या फिर ये देखेगा कि कौन सी जाति या धर्म का वोटर किस तरफ़ जा रहा है?