संघर्ष को चुनौती देने का जज्बा और जुनून हो तो कोई भी मंजिल आसान हो जाती है। अनपढ़ होने के बाद इस कहावत को चरितार्थ किया है जमुई के एक गांव की महिला सजदा खातून ने। सजदा की मिहनत से उनके सपनों को एक नई उड़ान मिली है और सजदा खातून ने सफलता की जो इबारत लिखी है वो काबिलेतारीफ है। काफी संघर्ष के बाद सजदा ने आज जो मुकाम हासिल किया है उसकी कितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर नमकीन का व्यापार प्रारंभ करने वाली सजदा आज की तारीख में सालाना 2 करोड़ का कारोबार कर रही है।