43 वर्ष बाद सार्वजनिक हुई जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुरादाबाद में दंगे, मुसलमानों के वोट हासिल करने के लिए करवाए गए थे जिसमें मुस्लिम लीग के नेताओं की भूमिका थी. लेकिन जांच रिपोर्ट में जो सच सामने आया है, उसे जानकर शक होता है कि कहीं ऐसा तो नहीं था कि मुस्लिम वोटर्स की नाराजगी के डर से इस रिपोर्ट को दबा दिया गया था.